भाव संगीत (IV Year) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )
Submitted by raagparichay on 15 March 2020 - 12:18pm1. पिछले सभी वर्षों के पाठ्यक्रम का पूर्ण अध्ययन। गले की तैयारी और सफाई पर विशेष ध्यान।
2. स्वर ज्ञान में विशेष उन्नति। कठिन स्वर समूहों की पहचान। स्वरलिपि में लिखे गीत को गाने और सरल गीत को सुनकर स्वरलिपि करने का अभ्यास।
3. शुद्ध रूप से तानपुरा मिलाने का विशेष अभ्यास।
4. अंकों या स्वरों के सहारे ताली देकर विभिन्न लयकारियों को दिखाना, जैसे - दुगुन (1 में 2 मात्रा), तिगुन (1 में 3 मात्रा), चौगुन (1 में 4 मात्रा), आड़ (2 में 3 मात्रा) और आड़ का उलटा (3 में 2 मात्रा)।
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