जूनियर डिप्लोमा (II Year) - गायन (शाश्त्र पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (II Year) - गायन (शाश्त्र पाठ्यक्रम )

१. निम्नलिखित सरल विषयों तथा पारिभाषिक शब्दों का साधारण ज्ञान- ध्वनि, ध्वनि कि उत्पत्ति, कम्पन्न, आन्दोलन (नियमित-अनियमित, स्थिर-अस्थिर आंदोलन), आन्दोलन - संख्या, नाद कि तीन विशेषताएं, नाद, कि उच्च - नीचता का आंदोलन-संख्या से सम्बंध, नाद और श्रुति, गीत के प्रकार-बड़ा-ख्याल, छोटा ख्याल, ध्रुपद तथा लक्षण-गीत के अवयव (स्थाई, अंतरा,  संचारी,आभोग), जनकथाट, जन्यराग, आश्रयराग, ग्रह , अंश, न्यास, वक्र-स्वर, समयसमय और सप्तक का पूर्वांग-उत्तरांग, वादी-स्वर का राग के समय से सम्बंध, पूर्व-उत्तर राग, तिगुन, चौगुन, मीड, कण, स्पर्श-स्वर तथा वक्र स्वर। 
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जूनियर डिप्लोमा (II Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (II Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

क्रियात्मक - परीक्षा १०० अंकों  शाश्त्र का एक प्रश्न-पत्र ५० अंकों का।
द्वितीय वर्ष के परीक्षा में प्रथम वर्ष का सम्पूर्ण पाठ्यक्रम भी सम्मिलित है।
क्रियात्मक 
१. स्वर-ज्ञान-शुद्ध, कोमल तथा तीव्र-स्वरों का गाने और पहचानने काविशेष ज्ञान।  प्रथम-वर्ष कि अपेक्षा कठिन स्वर - समूहों का गाने और पहचानने का अभ्यास। 
२. लय ज्ञान- ठाह दुगुन और चौगुन लयों को  अथवा स्वरों कि सहायता से दिखाना। 
३. प्रथम-वर्ष कि अपेक्षा कुछ कठिन अन्य अलंकारों को विलम्बित, मध्य और द्रुत-लयों में सरगम और आकर में गाने का विशेष अभ्यास। 
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जूनियर डिप्लोमा (I Year) - गायन (शास्त्र पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (I Year) - गायन (शास्त्र पाठ्यक्रम )

१. निम्नलिखित सरल  विषयों तथा पारिभाषिक शब्दों का साधारण प्रारंभिक ज्ञान -
     भारत कि दो संगीत-पद्धतियाँ , ध्वनि ध्वनि कि उत्पत्ति , नाद, नाद-स्थान, श्रुति, स्वर, प्राकृत स्वर, अचल और चल स्वर, शुद्ध और विकृत-स्वर (कोमल व तीव्र), सप्तक (मंद्र , मध्य, तार ), थाट , राग, वर्ण (स्थायी, आरोही-अवरोही, संचारी), अलंकार (पलटा), राग जाती (औडव, षाडव , सम्पूर्ण) वादी, संवादी, अनुवादी, वर्हित स्वर, पकड़ आलाप तान, ख्याल, सरगम, स्थाई, अंतरा, लय (विलम्बित, मध्य, द्रुत), मात्रा, ताल विभाग, सम ताली, खली ठेका, आवर्तन, ठाह तथा दुगुन।
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जूनियर डिप्लोमा (I Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (I Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

क्रियात्मक-परीक्षा १०० अंको कि होगी।  शास्त्र का एक प्रश्न - पत्र ५० अंको का।
क्रियात्मक 
१. स्वर-ज्ञान - ७ शुद्ध और ५ विकृत-स्वरों को गाने और पहचानने का ज्ञान, अधिकतर दो-दो स्वरों के सरल समूहों को गाने और पहचानने का अभ्यास।  शुद्ध-स्वरों का विशेष ज्ञान। 
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सिलेबस : सांगीत विनीत (मध्यमा पूर्व) महागुजरात गन्धर्व संगीत समिति

महागुजरात गाांधर्व सांगीत सममतत
गायन और र्ादन का अभ्यासक्रम
सांगीत वर्नीत (मध्यमा पूर्व)
क्रक्रयात्मक - 300 अांक, लेखित – 100 अांक, कुल अांक– 400.
समय: - 1 साल (100 से 120 घांटे का प्रमिक्षर्) परीक्षा समय: - 20 ममतनट.
क्रक्रयात्मक - 300 अांक : -
1) राग – 8, जयजयवंती, दरबारीकानडा, अड़ाना, काल ंगड़ा, पूररयाधनाश्री, सोहिनी, शंकरा, कामोद.
2) राग बागेश्री, बबिाग, दरबारीकानडा, भैरव (कोई भी 3) – इन रागो में बड़ा ख्या , छोटाख्या .
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