स्वन या ध्वनि भाषा की मूलभूत इकाई हैक्या है ?

स्वन या ध्वनि भाषा की मूलभूत इकाई हैक्या है ?

स्वन या ध्वनि भाषा की मूलभूत इकाई है। ‘स्वन’ शब्द के लिए अंग्रेजी में ‘Phone’ शब्द है। ध्वनि का लघुत्तम अनुभवगम्य विच्छिन्न खण्ड स्वन विज्ञान में ‘स्वन’ कहलाता है। ‘ध्वनि’ शब्द संस्कृत ‘ध्वन्’ (आवाज करना, शब्द करना) धातु के साथ इण (इ) प्रत्यय संम्पृक्त करने से बनता है। इसका अर्थ होता है-‘आवाज’ या ‘आवाज करना’। व्यक्ति जब बोलता है, तो उसके मुख-विवर से वायु निकलती है जो वागेन्द्रिय के माध्यम से कुछ वाणी (आवाज) प्रकट करती है, उसी को ‘ध्वनि’ कहा जाता है। संस्कृत में उसके लिए ध्वन और ध्वनन तथा स्वन और स्वनन शब्दों का प्रयोग किया गया है। किंतु सभी का आशय एक ही है। डॉ. Read More : स्वन या ध्वनि भाषा की मूलभूत इकाई हैक्या है ? about स्वन या ध्वनि भाषा की मूलभूत इकाई हैक्या है ?

भरतनाट्यम (II Year) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

1. अलारिपु तीन लयों में करके बताना (ठाह, दुगुन और चौगुन)।
2. यतिस्वरम् के विभिन्न यतियों का अभ्यास।
3. प्रथम वर्ष के अडवु मुद्रा सहित करके बताना।
4. हाथ और सिर का साधारण संचालन तीन लयों में। Read More : भरतनाट्यम (II Year) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) about भरतनाट्यम (II Year) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

जब हॉलैंड के राजमहल में गूंजे थे पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी से राग जोग के सुर

पंडित हरिप्रसाद चौरसिया

जब हॉलैंड के राजमहल में गूंजे थे पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी से राग जोग के सुर | एआर रहमान भी अपनी फिल्मों में इस राग का इस्तेमाल कर चुके हैं | 

साल 1990 की बात है. विश्वविख्यात बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया जापान में थे. एक रोज उनके कमरे में फोन आया, पता चला कि फोन हॉलैंड से आया है. हॉलैंड से फोन करने वाले शख्स ने बताया कि क्वीन बीएटक्स चाहती हैं कि पंडित हरिप्रसाद चौरसिया हॉलैंड में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करें. Read More : जब हॉलैंड के राजमहल में गूंजे थे पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी से राग जोग के सुर about जब हॉलैंड के राजमहल में गूंजे थे पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी से राग जोग के सुर

भरतनाट्यम (II Year) - (शास्त्र पाठ्यक्रम )

1. अलारिपु तथा यतिस्वरम् का अर्थ सहित पूर्ण ज्ञान।
2. सप्त तालों का साधारण परिचय।
3. भरत नाट्यशास्त्र के निम्न 10 संयुक्त मुद्राओं के श्लोक तथा उनका अर्थ सहित पूर्ण ज्ञान - अंजली, कर्पात, पुशपुट, शिवलिंग, करकट, कटकावर्धन, श्ांख, स्वस्तिका, शकट और चक्र।
4. रूक्मिणि देवी अरूण्डेल तथा बाला सरस्वती की जीवनी तथा भरतनाटयम में उनका योगदान।
5. भरतनाट्यम का संक्षिप्त इतिहास।
6. ध्वनि, ध्वनि की उत्पत्ति, कम्पन, आंदोलन, आंदोलन संख्या तथा नाद की संक्षिप्त व्याख्या।

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भरतनाट्यम (I Year) - (शास्त्र पाठ्यक्रम )

1. भरतनाट्यम के तालों में से तिस्त्रम, रूपकम, आदि ताल चम्पू या मिश्र ताल का ज्ञान (3, 6, 8, और 7 मात्राओं के, अट्टा ताल 14 मात्राओं के तथा जम्पू ताल 10 मात्राओं के त्रिपुट ताल के चतस्व जाति का विशेष ज्ञान, जैसे - आदि ताल 8 मात्रा और रूपक चतस्त्र जाति 6 मात्रा)।
2. ताल को 5 जातियों (तिस्त्र, चतुस्त्र, खण्ड, मिश्र तथा संकीर्ण) तथा 3 लयों (लघु, द्रुत और अनुद्रुत) का ज्ञान।
3. अडवु की परिभाषा, 15 प्रकार तथा हर प्रकार के पद संचालन का ज्ञान।
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मेवाती घराने की पहचान हैं पंडित जसराज

मेवाती घराने की पहचान हैं पंडित जसराज

इस घराने के प्रतिनिधि गायक नाज़िर खान थे. इस घराने की गायकी में वैष्णव भक्ति का प्रभाव भी सुनने को मिलता है. इस घराने के गायक आम तौर पर अपनी गायकी खत्म करने से पहले एक भजन जरूर सुनाते हैं. विश्वविख्यात कलाकार पंडित जसराज इस घराने के मौजूदा प्रतिनिधि कलाकार हैं. नए कलाकारों में पंडित संजीव अभ्यंकर का नाम भी बड़े अदब से लिया जाता है.

भारतीय शास्त्रीय संगीत के विश्वविख्यात गायक, पण्डित जसराज ८० वर्ष के हो गए हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत को उनका योगदान पिछले छह दशकों से भी ज़्यादा समय से मिल रहा है। Read More : मेवाती घराने की पहचान हैं पंडित जसराज about मेवाती घराने की पहचान हैं पंडित जसराज

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