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भारतीय शास्त्रीय संगीत का आधार:
भारतीय शास्त्रीय संगीत आधारित है स्वरों व ताल के अनुशासित प्रयोग पर।सात स्वरों व बाईस श्रुतियों के प्रभावशाली प्रयोग से विभिन्न तरह के भाव उत्पन्न करने की चेष्टा की जाती है। सात स्वरों के समुह को सप्तक कहा जाता है। भारतीय संगीत सप्तक के ये सात स्वर इस प्रकार हैं
षडज (सा), ऋषभ(रे), गंधार(ग), मध्यम(म), पंचम(प), धैवत(ध), निषाद(नि)।
सप्तक को मूलत: तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है...मन्द्र सप्तक़, मध्य सप्तक व तार सप्तक।अर्थात सातों स्वरों को तीनों सप्तकों में गाया बजाया जा सकता है।षड्ज व पंचम स्वर अचल स्वर कहलाते हैं क्यों कि इनके स्थान में किसी तरह का परिवर्तन नहीं किया जा सकता और इन्हें इनके शुद्ध रूप में ही गाया बजाया जा सकता है जबकि अन्य स्वरों को उनके कोमल व तीव्र रूप में भी गाया जाता है। इन्हीं स्वरों को विभिन्न प्रकार से गूॅंथ कर रागों की रचना की जाती है।
राग परिचय
कैराना का किराना घराने से नाता |
गुरु-शिष्य परम्परा |
रागदारी: शास्त्रीय संगीत में घरानों का मतलब |
मेवाती घराने की पहचान हैं पंडित जसराज |
जब हॉलैंड के राजमहल में गूंजे थे पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी से राग जोग के सुर |
35 हज़ार साल पुरानी बांसुरी मिली |
सुरमयी दुनिया का 'सुर-असुर' संग्राम |