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संस्कृत में थाट का अर्थ है मेल
Submitted by Anand on 13 May 2020 - 4:02am
संस्कृत में थाट का अर्थ है मेल। थाट, यह रागों के वर्गीकरण हेतु तैयार की हुई पद्धति है। पंडित विष्णु नारायण भातखंडे ने १० थाट प्रचिलित किये जिनको कोमल, शुद्ध और तीव्र स्वरों के आधार पर बनाया गया जो निम्न हैं -
(१) कल्याण
(२) बिलावल
(३) खमाज
(४) भैरव
(५) पूर्वी
(६) मारवा
(७) काफी
(८) आसावरी
(९) भैरवी
(१०) तोड़ी
उपरोक्त राग पद्धति प्रचलन में होते हुए भी आज बहुत से ऐसे राग हैं जो इन थाटों के खांचों में नहीं बैठते। अतः कुछ विद्वान इन्हें नकारते हुए रागांग पद्धति अर्थात राग वाचक स्वर समूह तथा उसके आरोह अवरोह को ही मान्यता देते हैं।
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