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पटदीप
राग भीमपलासी में शुद्ध निषाद का प्रयोग करने पर राग पटदीप सामने आता है। राग भीमपलासी में वादी स्वर मध्यम है जबकि राग पटदीप का वादी स्वर पंचम है।
राग पटदीप में पंचम-गंधार की संगती ली जाती है। इसमें शुद्ध निषाद प्रभावशाली है। तार सप्तक के सा से अवरोह की और आते हुए निषाद को कभी कभी छोड़ा जाता है जैसे - सा' ध प। अवरोह में रिषभ लगाते समय सा को कण स्वर के रूप में लगाते हैं। अवरोह में धैवत और रिषभ को दीर्घ किया जाता है। आलाप और तानों की शुरुवात सामान्यतया मन्द्र निषाद से की जाती है। इस राग की प्रकृति थोड़ी चंचल है। यह स्वर संगतियाँ राग पटदीप का रूप दर्शाती हैं -
,नि सा ; ग१ म प ; म ग१ (सा)रे सा ; प ग१ म ; ग१ म प ध प ; ग१ म प नि सा' ; नि सा' ध प ; ध प म ग१ म ग१ ; म प म ग१ म ग१ (सा)रे सा;
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