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मधुवन्ती
यह अपेक्षाकृत नया राग है। पूर्व में यह राग अम्बिका के नाम से जाना जाता था। यह श्रृंगार रस से परिपूर्ण होने के कारण श्रोताओं पर अपना गहरा प्रभाव डालता है। इसके पास का राग मुलतानी है। राग मुलतानी में रिषभ और धैवत को शुद्ध करके गाने पर यह राग मधुवंती हो जाता है। विशेष कर आलाप लेते समय अवरोह में रिषभ के साथ 'सा' को कण स्वर के रूप में लगाया जाता है जैसे - म् ग१ सारे सा।
यह स्वर संगतियाँ राग मधुवंती का रूप दर्शाती हैं - ,नि सा म् ; म् ग१ रे सा ; नि ध प ; प ध प ; म् ग१ ; म् ग१ रे सा ; ग१ म् प नि सा' ; नि सा' ध ध प ; ध प म् ग१ म् ग१ ; म् ग१ रे सा ; रे ,नि सा ;
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राग परिचय
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