संपर्क : 9259436235
शास्त्रीय संगीत और योग
ध्वनि का अर्थ क्या है? योग में हम कहते हैं ‘नाद ब्रह्म’, जिसका मतलब है ‘ध्वनि ही ईश्वर है’। ऐसा इसलिए क्योंकि इस जीवन का आधार कंपन में है, यह कंपन ही ध्वनि है। इसे हर इंसान महसूस कर सकता है। अगर आप अपने भीतर ही भीतर एक खास अवस्था में पहुंच जाएं तो पूरा जगत ध्वनि हो जाता है। यह संगीत इसी तरह के अनुभव और समझ से विकसित हुआ। अगर आप ऐसे लोगों को गौर से देखेंगे जो शास्त्रीय संगीत से गहराई से जुड़े हैं, तो आपको लगेगा कि वे स्वाभाविक रूप से ही ध्यान की अवस्था में रहते हैं। वे संतों जैसे हो जाते हैं। इसलिए इस संगीत को महज मनोरंजन के साधन के तौर पर ही नहीं देखा गया, बल्कि यह आध्यात्मिक प्रक्रिया के लिए एक साधन की तरह था। रागों का प्रयोग इंसान की समझ और अनुभव को ज्यादा उन्नत बनाने के लिए किया गया।
‘ध्वनि ही ईश्वर है’ – ऐसा इसलिए क्योंकि इस जीवन का आधार कंपन में है, यह कंपन ही ध्वनि है।संगीत के क्षेत्र में शुरुआत करने के लिए आपको शास्त्रीय संगीत पर नए प्रकाशनों की मदद लेनी चाहिए। इन संगीतों में थोड़ा फेरबदल किया गया है, और उन्हें एक ख़ास तरह से बनाया गया है। इसके कारण जिस शख्स के पास संगीत की जरा भी ट्रेनिंग नहीं है, वह भी इसका मूल्य समझ सकता है।
राग परिचय
कैराना का किराना घराने से नाता |
गुरु-शिष्य परम्परा |
रागदारी: शास्त्रीय संगीत में घरानों का मतलब |
मेवाती घराने की पहचान हैं पंडित जसराज |
जब हॉलैंड के राजमहल में गूंजे थे पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी से राग जोग के सुर |
35 हज़ार साल पुरानी बांसुरी मिली |
सुरमयी दुनिया का 'सुर-असुर' संग्राम |