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स्वन या ध्वनि भाषा की मूलभूत इकाई हैक्या है ?
स्वन या ध्वनि भाषा की मूलभूत इकाई है। ‘स्वन’ शब्द के लिए अंग्रेजी में ‘Phone’ शब्द है। ध्वनि का लघुत्तम अनुभवगम्य विच्छिन्न खण्ड स्वन विज्ञान में ‘स्वन’ कहलाता है। ‘ध्वनि’ शब्द संस्कृत ‘ध्वन्’ (आवाज करना, शब्द करना) धातु के साथ इण (इ) प्रत्यय संम्पृक्त करने से बनता है। इसका अर्थ होता है-‘आवाज’ या ‘आवाज करना’। व्यक्ति जब बोलता है, तो उसके मुख-विवर से वायु निकलती है जो वागेन्द्रिय के माध्यम से कुछ वाणी (आवाज) प्रकट करती है, उसी को ‘ध्वनि’ कहा जाता है। संस्कृत में उसके लिए ध्वन और ध्वनन तथा स्वन और स्वनन शब्दों का प्रयोग किया गया है। किंतु सभी का आशय एक ही है। डॉ. श्याम सुन्दर दास ने इसे और अधिक स्पष्ट करते हुए कहा है-“ध्वनि शब्द से भाषा-विज्ञान में मानव मुख से निसृत ध्वनियों को ही ग्रहण किया जाता है, अन्य अव्यक्त-अस्पष्ट ध्वनियों को नहीं – इस ध्वनि में वर्ण, शब्द और भाषा सभी का अन्तर्भाव हो जाता है।”
क्या आप जानते हैं?
प्रो. डोनियल जोंस ने ध्वनि का स्वरूप इस प्रकार दिया है, “ध्वनि मनुष्य के विकल्प-परिहीन नियत स्थान और निश्चित प्रयत्न द्वारा उत्पादित और श्रोत्रेन्द्रिय द्वारा अविकल्प रूप से ग्रहीत शब्द लहरी है।”
भाषा वर्णन के संदर्भ में परम्परागत मान्यता यही रही है कि भाषा की दीर्घ इकाई वाक्य का निर्माण शब्दों या पदों से और शब्दों का निर्माण ध्वनियों से होता है। किसी भाषा का ज्ञान उसकी ध्वनियों के अलग-अलग पहचान के बिना संभव नहीं है। प्रायः किसी भी तरह के घर्षण या टकराहट से उठी हुई स्वर लहर ध्वनि कही जाती है।, किन घटकों से बनी है। सामान्य अर्थ में इसका उत्तर सरल है, कोई भी व्यक्ति बता सकता है कि ध्वनियों से शब्द बनते है और शब्दों से वाक्य बनते है। अर्थात् ध्वनि, शब्द और वाक्य को हम भाषा के प्रमुख घटक मान सकते हैं। ध्वनि (स्वन) शब्द और वाक्य से भाषा की संरचना का निर्माण होता है। ध्वनि की परिभाषा इस प्रकार से दिया जा सकता है “सामान्य रूप से श्रवण-ग्राह्य उस आवाज को ध्वनि कहते हैं, जो संघर्ष रगड़, टकराहट आदि से उत्पन्न होती है।” ध्वनियाँ दो प्रकार की होती है। (क) ध्वनि सामान्य तथा (ख) भाषण
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