स्वर निषाद का शास्त्रीय परिचय

स्वर निषाद का शास्त्रीय परिचय

निषाद स्वर हेतु जगती छन्द का निर्देश है। जगती छन्द पाप नाश हेतु होता है। निषाद स्वर का वार शनिवार कहा गया है। शतपथ ब्राह्मण ४.६.८.१-२ का कथन है – या वै दीक्षा सा निषत्, तत् सत्रम्। शतपथ ब्राह्मण ५.४.४.५ तथा १२.८.३.१० में वाजसनेयि माध्यन्दिन संहिता १०.२७ व २०.२ में प्रकट हुई निम्नलिखित यजु की व्याख्या की गई है-

निषषाद धृतव्रतो वरुणः पस्त्यास्वा। साम्राज्याय सुक्रतुः।।

इस यजु का विनियोग आसन्दी पर बिछे हुए कृष्णाजिन पर आरूढ होने हेतु है। पस्त्यम् का अर्थ शतपथ ब्राह्मणकार ने विशः या प्रजा तथा सायणाचार्य ने वैरिग्रह किया है। इन कथनों से यह संकेत मिल रहा है कि साधना काल में मनुष्य को दृढ निश्चय के साथ बैठना पडता है कि अब या तो मेरी साधना पूर्ण होगी या मेरा अन्त हो जाएगा। लेकिन फिर मन में बहुत से संकल्प-विकल्प आते हैं, बहुत भय लगता है। लगता है कि निषाद स्वर मन्त्र में वादी, विवादी, अनुवादी आदि कहकर इन्हीं संकल्पों-विकल्पों की ओर संकेत किया गया है। यह सब निषाद व्यञ्जन के रूप हो सकते हैं। इन व्यञ्जनों से शुद्ध निषाद स्वर का विकास करना है। उस स्थिति में निषाद स्वर का रस शान्त रस कहा जा सकता है।

     निषाद शब्द को पुराणों में निषध, नैषध शब्द के आधार पर भी समझने का प्रयत्न किया जा सकता है। नैषध देश का राज्य आग्नीध्र-पुत्र हरिवर्ष को प्राप्त होता है। और नैषधराज की रानी का नाम सीमन्तिनी है। नैषध देश का राजा नल है। कर्मकाण्ड में आग्नीध्र नामक ऋत्विज की यह प्रकृति है कि वह अन्तर्मुखी भी हो सकता है, बहिर्मुखी भी। वह सीमा पर बैठा हुआ है। कथासरित्सागर ५.२.३३ में शक्तिदेव नामक विप्रकुमार कनकपुरी का मार्ग पूछने के लिए सत्यव्रत नामक निषाद के पास पहुंचता है। दूसरी ओर, ब्रह्माण्ड पुराण में उल्लेख आता है कि परशुराम ने निषधराज का वध शक्ति से किया। शक्ति से अर्थ हमारी सांसारिक कार्यों में लग रही ऊर्जा से, तिर्यक् शक्ति से है। कनकपुरी के दर्शन हेतु यह आवश्यक है कि इस शक्ति को समाप्त किया जाए। जब यह शक्ति बहिर्मुखी होगी तो यह आह्लाद उत्पन्न करेगी। यह निषाद स्वर का हूहू ऋषि हो सकता है। रामायण में राम निषादराज गुह से मित्रता करते हैं। इस आख्यान में गुह शब्द को भी गुहा, कनकपुरी के अर्थों में लिया जा सकता है। स्कन्द पुराण में निषध पर्वत को ओषधि से रहित कहा गया है। ओष का अर्थ उषा लिया जा सकता है। जो उषा से रहित है, जहां सूर्य का उदय नहीं होता, सदैव रात्रि, सदैव अन्तर्मुखी स्थिति रहती है, वह निषध पर्वत है। निषाद/अतिस्वार्य स्वर द्वारा ओषधि व अन्य जगत के तृप्त होने का उल्लेख है(सामविधान ब्राह्मण)।

     साम की भक्तियों में निषाद स्वर निधन भक्ति के तुल्य हो सकता है।

 

निषादः

*जगती छन्दः, करुणो रसः, गजो बृह्मति, दैत्यकुलजः, नानावर्णः, वैश्यः, पुष्करद्वीपभवः, तपोलोकवासी, नेपालदेशीयः, शनिवारजः, आथर्वणः, काण्वशाखी, षष्टिवार्षिकः, सप्तकलः, विनोदकर्मनियुक्तः, उच्चस्वरः, द्विश्रुतिः, गणेशदैवत्यः। - पण्डितमण्डली

*निषीदन्ति स्वरा अत्र निषादस्तेन हेतुना – पण्डितमण्डली

*निषादो गजवक्त्रः स्याच्चित्रवर्णश्चतुर्भुजः। त्रिशूलपद्मपरशुबीजपूरकभृत्करैः।। गणेशो दैवतं क्रौञ्चो द्वीपं वंशं सुपर्वजम्। गाता च तुम्बुरुः शान्तो रसस्स्याद्वाहनं गजः।। - सुधाकलशः

*निषादस्वरमन्त्रः – मूर्छना हृदयाय नमः। तानः शिरसे स्वाहा। वादी शिखायै वषट्। संवादी कवचाय हुम्। अनुवादी नेत्रत्रयाय वौषट्। विवादी अस्त्राय फट्। हूहू ऋषिः अत्युक्तश्छन्दः महालक्ष्मीर्देवता। ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौं निं नमः। - जगदेकः

*निषादाभिनयः – हस्तेन करिहस्तेन कटिहस्तेन दीनया। दृष्ट्या विधूतशिरसा निषादं सन्निरूपयेत्।। - दामोदरः

*ततो विंशतिमः कल्पो निषादः परिकीर्तितः। प्रजापतिस्तु तं दृष्ट्वा स्वयम्भूप्रभवं तदा। विरराम प्रजाः स्रष्टुं निषादस्तु तपो अतपत्। दिव्यं वर्षसहस्रन्तु निराहारो जितेन्द्रियः। तमुवाच महातेजा ब्रह्मा लोकपितामहः। ऊर्ध्वबाहुं तपोग्लानं दुःखितं क्षुत्पिपासितम्। निषीदेत्यब्रवीदेनं पुत्रं शान्तं पितामहः। तस्मान्निषादः सम्भूतः स्वरस्तु स निषादवान्। - वायु पुराण २१.४२

*निषीदन्ति स्वरा यस्मान्निषादस्तेन हेतुना। सर्वाँश्चाभिभवत्येमं यदादित्योस्य दैवतमिति।। - नारदीय शिक्षा १.५.१९

श्री एम. रामकृष्ण कवि-कृत भरतकोशः (मुन्शीराम मनोहरलाल, दिल्ली) से साभार संकलित – २२-४-२०११ ई.( वैशाख कृष्ण पञ्चमी, विक्रम संवत् २०६८)

Vote: 
No votes yet

राग परिचय

शास्त्रीय नृत्य
भारतीय नृत्य कला

नाट्य शास्त्रानुसार नृतः, नृत्य, और नाट्य में तीन पक्ष हैं –

राग भीमपलास और भीमपलास पर आधारित गीत

भारतीय शास्त्रीय संगीत का आधार:

पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी

जयपुर- अतरौली घराने की देन हैं एक से बढ़कर एक कलाकार

वेद में एक शब्द है समानिवोआकुति

राग परिचय
स्वर मालिका तथा लिपि

रागों मे जातियां

कुछ रागों की प्रकृति इस प्रकार उल्लेखित है-

खर्ज और ओंकार का अभ्यास क्या है ?

स्वन या ध्वनि भाषा की मूलभूत इकाई हैक्या है ?

ठुमरी : इसमें रस, रंग और भाव की प्रधानता होती है

राग रागिनी पद्धति

राग दरबारी कान्हड़ा

राग 'भैरव':रूह को जगाता भोर का राग

रागांग राग वर्गीकरण से अभिप्राय

राग क्या हैं

क्या हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में भगवान शंकर को समर्पित भी है कोई राग?

संगीत में बड़ी ताक़त है - सलीम-सुलेमान

संगीत के स्वर

संगीत और हमारा जीवन
रागों में छुपा है स्वास्थ्य का राज

संगीत का वैज्ञानिक प्रभाव

शास्त्रीय संगीत और योग

कैसे जानें की आप अच्छा गाना गा सकते हैं

रियाज़ कैसे करें

चमत्कार या लुप्त होती संवेदना एक लेख

भारतीय संगीत में आध्यात्मिकता स्रोत

क्या आप भी बनना चाहेंगे टीवी एंकर

वैदिक विज्ञान ने भारतीय शास्त्रीय संगीत'रागों' में चिकित्सा प्रभाव होने का दावा किया है।

संगीत का प्राणि वर्ग पर असाधारण प्रभाव

गले में सूजन, पीड़ा, खुश्की

अल्कोहल ड्रिंक्स - ये दोनों आपके गले के पक्के (पक्के मतलब वाकई पक्के) दुश्मन हैं

छुटकारा पाना है गुस्सा, तनाव से तो सुनिए राग दरबारी और भीमपलासी

जानिए कैसे संगीत से दिमाग़ तेज होता है |

एक हज़ार साल तक बजने वाली धुन

गणित के सुंदर सूत्र, जैसे कोई संगीत जैसे कोई कविता

शास्त्रीय संगीतः जातिवाद का दौर हुआ ख़त्म?

संगीत सुनना सेहत के लिए भी होता है लाभदायक, जानिए कैसे

भारतीय शास्त्रीय संगीत
हारमोनियम के गुण और दोष

निबद्ध- अनिबद्ध गान: व्याख्या, स्वरूप, भेद

संगीत से सम्बन्धित 'स्वर' के बारे में है

गायकी के 8 अंग (अष्टांग गायकी)

संस्कृत में थाट का अर्थ है मेल

ध्वनि विशेष को नाद कहते हैं

भारतीय संगीत

षडजांतर | शास्त्रीय संगीत के जाति लक्षण क्यां है

अलंकार- भारतीय शास्त्रीय संगीत

'राग' शब्द संस्कृत की 'रंज्' धातु से बना है

भारतीय परम्पराओं का पश्चिम में असर

सात स्वर, अलंकार और हारमोनियम

भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है भारतीय शास्त्रीय संगीत।

ठुमरी का नवनिर्माण

कर्नाटक और हिंदुस्तानी संगीत में मूलभूत अंतर क्या हैं?

राग की तुलना में भाव सौंदर्य को अधिक महत्वपूर्ण ठुमरी होती है।

प्राचीन काल में तराना को स्टॉप गान के नाम से जाना जाता था

हिंदुस्तानी संगीत के घराने
कैराना का किराना घराने से नाता

गुरु-शिष्य परम्परा

रागदारी: शास्त्रीय संगीत में घरानों का मतलब

मेवाती घराने की पहचान हैं पंडित जसराज

संगीत में विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी
माइक्रोफोन के प्रकार :

माइक्रोफोन का कार्य

नई स्वरयंत्र की सूजन

ऊँची आवाज़ ख़तरनाक भी हो सकती है

टोपी पहनिए और दिमाग से तैयार कीजिए धुन

खुल जाएंगे दिमाग़ के रहस्य

मूड के मुताबिक म्यूज़िक सुनाएगा गूगल

हमारे पूज्यनीय गुरु
उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ां

ओंकारनाथ ठाकुर (1897–1967) भारत के शिक्षाशास्त्री,

बालमुरलीकृष्ण ने कर्नाटक शास्त्रीय संगीत और फिल्म संगीत

ठुमरी गायिका गिरिजा देवी हासिल कर चुकी हैं कई पुरस्कार और सम्मान

अमवा महुअवा के झूमे डरिया

उस्ताद बड़े गुलाम अली खान वाला पटियाला घराना

क्या अलग था गिरिजा देवी की गायकी में

संगीत के लिए सब छोड़ा : सोनू निगम

'संगीत के माध्यम से सेवा करता रहूंगा'

शास्त्रीय गायिका गंगूबाई

लता मंगेशकर ने क्यों नहीं की शादी?

अमिताभ को मिलना चाहिए भारत रत्न: लता

स्वर परिचय
संगीत के स्वर

स्वर मध्यम का शास्त्रीय परिचय

स्वर पञ्चम का शास्त्रीय परिचय

स्वर धैवत का शास्त्रीय परिचय

स्वर निषाद का शास्त्रीय परिचय

स्वर और उनसे सम्बद्ध श्रुतियां

सामवेद व गान्धर्ववेद में स्वर

संगीत रत्नाकर के अनुसार स्वरों के कुल, जाति

समाचार
जब हॉलैंड के राजमहल में गूंजे थे पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी से राग जोग के सुर

35 हज़ार साल पुरानी बांसुरी मिली

सुरमयी दुनिया का 'सुर-असुर' संग्राम

Search engine adsence