स्वर निषाद का शास्त्रीय परिचय
Submitted by Anand on 12 June 2020 - 11:41amनिषाद स्वर हेतु जगती छन्द का निर्देश है। जगती छन्द पाप नाश हेतु होता है। निषाद स्वर का वार शनिवार कहा गया है। शतपथ ब्राह्मण ४.६.८.१-२ का कथन है – या वै दीक्षा सा निषत्, तत् सत्रम्। शतपथ ब्राह्मण ५.४.४.५ तथा १२.८.३.१० में वाजसनेयि माध्यन्दिन संहिता १०.२७ व २०.२ में प्रकट हुई निम्नलिखित यजु की व्याख्या की गई है-
निषषाद धृतव्रतो वरुणः पस्त्यास्वा। साम्राज्याय सुक्रतुः।। Read More : स्वर निषाद का शास्त्रीय परिचय about स्वर निषाद का शास्त्रीय परिचय