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ठुमरी गायिका गिरिजा देवी हासिल कर चुकी हैं कई पुरस्कार और सम्मान
देश की प्रसिद्ध ठुमरी गायिका गिरिजा देवी का आज कोलकाता में निधन हो गया। वो सेनिया और बनारस घराने से तुल्लुक रखती हैं। गिरिजा देवी शास्त्रीय और उप-शास्त्रीय संगीत का गायन करतीं थीं। ठुमरी गायन को लोकप्रिय बनाने में इनका अहम योगदान रहा। गिरिजा देवी को सन 2016 में पद्म विभूषण एवं 1980 में भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
गिरिजा देवी का जन्म, 8 मई 1929 को, वाराणसी में एक भूमिहार परिवार में हुआ था। उनके पिता रामदेव राय जमींदार थें। उनके पिता हारमोनियम बजाया करते थे औक उन्होंने गिरिजा देवी को संगीत सिखाया। इन्होंने, गायक और सारंगी वादक सरजू प्रसाद मिश्रा, 5 साल की उम्र से, ख्याल और टप्पा गायन की शिक्षा लेना शुरू की। 9 वर्ष की आयु में, फिल्म याद रहे में, अभिनय भी किया और अपने गुरु श्री चंद मिश्रा के सानिध्य में संगीत की कई शैलियों की पढ़ाई जारी रखी।
पुरस्कार और सम्मान
गिरिजा देवी को अब तक कई पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं। उन्हें 1972 में पद्म श्री, 1989 में पद्म भूषण और 2016 में पद्म विभूषण पुरस्कार से नवाजा गया। इसके साथ ही उन्हें 1977 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 2010 में संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप, 2012 में महा संगीत सम्मान पुरस्कार दिया गया था। गिरिजा देवी को 2012 में गीमा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। \
संगीत में शुरूआत और उनका करियर
गिरिजा देवी ने गायन की सार्वजनिक शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो इलाहाबाद पर 1949 से की हालांकि इससे पहले 1946 में उनकी शादी हो गयी। इसके बाद गिरीजा को अपनी मां और दादी से विरोध का सामना करना पड़ा, क्योंकि यह परंपरागत रूप से माना जाता था कि कोई उच्च वर्ग की महिला को सार्वजनिक रूप से गायन का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।
गिरिजा देवी ने दूसरों के लिए निजी तौर पर प्रदर्शन नहीं करने के लिए सहमती दी थी, लेकिन 1951 में बिहार में उन्होंने अपना पहला सार्वजनिक संगीत कार्यक्रम दिया।
1980 के दशक में कोलकाता में आईटीसी संगीत रिसर्च एकेडमी और 1990 के दशक के दौरान बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संगीत संकाय के एक सदस्य के रूप में काम किया। देवी बनारस घराने से गाती है और पूरबी आंग ठुमरी शैली परंपरा का प्रदर्शन करती थीं। उनके प्रदर्शनों की सूची अर्द्ध शास्त्रीय शैलियों कजरी, चैती और होली भी शामिल है और वह ख्याल, भारतीय लोक संगीत, और टप्पा भी गातीं थीं।
गिरिजा देवी को ठुमरी की रानी के रूप में माना जाता है। वह 'अलंकार संगीत स्कूल' के संस्थापक,श्रीमती ममता भार्गव, जिनके भारतीय शास्त्रीय संगीत स्कूल ने सैकड़ों मील की दूरी से छात्रों को आकर्षित किया है,की गुरु मानी जाती है।
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