35 हज़ार साल पुरानी बांसुरी मिली

35 हज़ार साल पुरानी बांसुरी मिली

जर्मनी में खोजकर्ताओं ने लगभग 35 हज़ार साल पुराना बाँसुरी खोज निकाला है और वैज्ञानिकों का कहना है कि यह दुनिया का पहला संगीत यंत्र हो सकता है.

बांसुरी

Image captionबीस सेंटीमीटर लंबी बांसुरी में पांच छेद बनाए गए हैं Read More : 35 हज़ार साल पुरानी बांसुरी मिली about 35 हज़ार साल पुरानी बांसुरी मिली

संगीत से सम्बन्धित 'स्वर' के बारे में है

संगीत से सम्बन्धित 'स्वर' के बारे में है

संगीत में वह शब्द जिसका कोई निश्चित रूप हो और जिसकी कोमलता या तीव्रता अथवा उतार-चढ़ाव आदि का, सुनते ही, सहज में अनुमान हो सके, स्वर कहलाता है। भारतीय संगीत में सात स्वर (notes of the scale) हैं, जिनके नाम हैं - षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत व निषाद।
यों तो स्वरों की कोई संख्या बतलाई ही नहीं जा सकती, परंतु फिर भी सुविधा के लिये सभी देशों और सभी कालों में सात स्वर नियत किए गए हैं। भारत में इन सातों स्वरों के नाम क्रम से षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद रखे गए हैं जिनके संक्षिप्त रूप सा, रे ग, म, प, ध और नि हैं।
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उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ां

उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ां

 में हुआ बाद में उन्होंने अपने पिता अली बख्श खां, चाचा काले खां और बाबा शिंदे खां से संगीत के गुर सीखे। इनके पिता महाराजा कश्मीर के दरबारी गायक थे और वह घराना "कश्मीरी घराना" कहलाता था। जब ये लोग पटियाला जाकर रहने लगे तो यह घराना "पटियाला घराना" के नाम से जाना जाने लगा। अपने सधे हुए कंठ के कारण बड़े गुलाम अली खां ने बहुत प्रसिद्ध पाई। सन १९१९ के लाहौर संगीत सम्मेलन में बड़े गुलाम अली खां ने अपनी कला का पहली बार सार्वजनिक प्रदर्शन किया। इसके कोलकाता और इलाहाबाद के संगीत सम्मेलनों ने उन्हें देशव्यापी ख्याति दिलाई। उन्होंने अपनी बेहद सुरीली और लोचदार आवाज तथा अभिनव शैली के बूते ठुमरी को एकदम न Read More : उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ां about उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ां

स्वर मालिका तथा लिपि

स्वर मालिका तथा लिपि

भारतीय संगीत शास्त्री अन्य कई बातों में भी पाश्चात्य संगीत कारों से कहीं आगे और प्रगतिशील थे। भारतीयों ने ऐक ‘सप्तक’ ( सात स्वरों की क्रमबद्ध लडी – ‘सा री ग म प ध और नि’ को 22 श्रुतियों (इन्टरवल) में बाँटा था जब कि पाश्चात्य संगीत में यह दूरी केवल 12 सेमीटोन्स में ही विभाजित करी गयी है। भारतीयों ने स्वरों के नामों के प्रथम अक्षर के आधार पर ‘सरगमें’ बनायी जिन्हें गाया जा सकता है। ईरानियों और उन के पश्चात मुसलमानों ने भी भारतीय स्वर मालाओं (सरगमों) को अपनाया है। Read More : स्वर मालिका तथा लिपि about स्वर मालिका तथा लिपि

संगीत का वैज्ञानिक प्रभाव

संगीत का वैज्ञानिक

संगीत सुनने के कई फायदे हैं। यह बात तो सभी को मालूम है पर कोई आपसे पूछ बैठे कि जरा बताइए कि क्या इन फायदों के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार है तो आप सोच में पड़ जाएँगे। दरअसल हर तरह के संगीत को सुनने से आप पर अच्छा प्रभाव पड़े यह भी कतई जरूरी नहीं है। तो आइए रॉक म्यूजिक और शास्त्रीय संगीत सुनने से क्या प्रभाव पड़ता है इसे शोध की नजर से देखते हैं। इंटेल इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर ने यह बात शोध से साबित की है। संस्था ने इस शोध में करीब 1500 बच्चों पर अलग-अलग तरह के संगीत का प्रभाव परखा। Read More : संगीत का वैज्ञानिक प्रभाव about संगीत का वैज्ञानिक प्रभाव

संगीत का प्राणि वर्ग पर असाधारण प्रभाव

संगीत का प्राणि वर्ग पर असाधारण प्रभाव

रेडियो तरंगों की तरह संगीत की भी शक्तिशाली तरंगें होती हैं। वे अपने प्रभाव क्षेत्र को प्रभावित करती हैं। उनसे वातावरण अनुप्राणित होता है। पदार्थों में हलचल मचती है और प्राणियों की मनोदशा पर उसका अनोखा प्रभाव पड़ता है। प्राणियों में मनुष्य की बौद्धिक एवं संवेदनात्मक क्षमता अन्य प्राणियों से विशिष्ट है। इसलिए संगीत का उस पर असाधारण प्रभाव पड़ता है। यों भाव संवेदना प्राणि मात्र पर पड़ती है। वे अपने सामान्य क्रिया कलाप रोक कर वादन ध्वनि के साथ लहराने लगते हैं। उनमें शब्द ज्ञान तो होता नहीं इसलिए गायनों का अर्थ समझने में असमर्थ रहने पर भी वे गीतों के साथ जुड़े हुए भाव संचार को ग्रहण करते और उससे Read More : संगीत का प्राणि वर्ग पर असाधारण प्रभाव about संगीत का प्राणि वर्ग पर असाधारण प्रभाव

अमवा महुअवा के झूमे डरिया

अमवा महुअवा के झूमे डरिया

अमवा महुअवा के झूमे डरिया  - 2
तानी ताका न बलम , तानी ताका न बलमुआ ओरिया । 

अमवा मोजर गइले महुआ कुचाई गइले 
अमवा मोजर गइले महुआ कुचाई गइले 
रसवा से भरी गइले कुल डरिया हो जी रसवा से भरी गइले कुल डरिया
तानी ताका न बलम , तानी ताका न बलमुआ ओरिया । 

महुआ बिनन हम गइली महुआ बगिया 
महुआ बिनन हम गइली महुआ बगिया 
रहिया जे छेकले देवर पापिया  हो जी रहिया जे छेकले देवर पापिया
तानी ताका न बलम , तानी ताका न बलमुआ ओरिया ।  Read More : अमवा महुअवा के झूमे डरिया about अमवा महुअवा के झूमे डरिया

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