अल्कोहल ड्रिंक्स - ये दोनों आपके गले के पक्के (पक्के मतलब वाकई पक्के) दुश्मन हैं

अल्कोहल ड्रिंक्स - ये दोनों आपके गले के पक्के (पक्के मतलब वाकई पक्के) दुश्मन हैं

 अल्कोहल ड्रिंक्स - ये दोनों आपके गले के पक्के (पक्के मतलब वाकई पक्के) दुश्मन हैं. इसकी वजह है कि अल्कोहल ड्रिंक्स ये दोनों ही आपके शरीर से पानी निकालते हैं और गले में सूखापन लाते हैं. इसीलिए अगर आप अगर अपनी संगीत साधना को लेकर गम्भीर हैं तो कॉफी और अल्कोहल ड्रिंक्स से कोसों दूर रहें. Read More : अल्कोहल ड्रिंक्स - ये दोनों आपके गले के पक्के (पक्के मतलब वाकई पक्के) दुश्मन हैं about अल्कोहल ड्रिंक्स - ये दोनों आपके गले के पक्के (पक्के मतलब वाकई पक्के) दुश्मन हैं

सुरमयी दुनिया का 'सुर-असुर' संग्राम

सुरमयी दुनिया का 'सुर-असुर' संग्राम

तमाम तरह की हलचलों से भरी इंसानी ज़िंदगी में सुकून के लम्हे ईजाद करने वाले संगीत की दुनिया में इन दिनो एक बेसुरे झगड़े ने ख़लल पैदा कर रखा है.

इस झगड़े की वजह है ‘रायल्टी’. मतलब संगीत की बिक्री से हुई मोटी कमाई से मिलने वाला एक हिस्सा. परंपरागत रूप से यह हिस्सा-बांट म्यूज़िक कम्पनी और फ़िल्म के निर्माता के बीच होता आया है. Read More : सुरमयी दुनिया का 'सुर-असुर' संग्राम about सुरमयी दुनिया का 'सुर-असुर' संग्राम

शास्त्रीय संगीतः जातिवाद का दौर हुआ ख़त्म?

शास्त्रीय संगीतः जातिवाद का दौर हुआ ख़त्म?

एक सभा में कर्नाटक संगीत का कार्यक्रम चल रहा है. काफी सारे बुजुर्ग और संगीत के जानकारों के बीच एक दो विदेशी भी बैठे हैं. जैसे ही एक कार्यक्रम ख़त्म होता है, वे वहां से दूसरी जगह भागते हैं- एक और गायक को सुनने या एक और नृत्य देखने के लिए.

चेन्नई में दिसंबर और जनवरी के महीनों में एक खासियत है- इस समय यहाँ हर जगह शास्त्रीय संगीत की धुन गूंजती रहती है. 'मार्गड़ी' नाम का यह तमिल महीना यहाँ 'म्यूज़िक सीज़न' के नाम से मशहूर है.

इस समय सैकड़ों ऐसे कार्यक्रम होते हैं. यहाँ तक कि कुछ संगीत प्रेमी अपनी साल की छुट्टियां भी शास्त्रीय संगीत के लिए ही लेते हैं. Read More : शास्त्रीय संगीतः जातिवाद का दौर हुआ ख़त्म? about शास्त्रीय संगीतः जातिवाद का दौर हुआ ख़त्म?

जरुर पाहा: ‘गानसरस्वती’ किशोरी आमोणकर यांची संग्रहित मुलाखत

कैराना का किराना घराने से नाता

कैराना का किराना घराने से नाता

जाने माने गायक अजय पोहनकर भी किराना घराने से ताल्लुक रखते हैं.
शायद वास्तविक कैराना वह जगह है, जहां उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक महान और सर्वाधिक रागमय परंपरा का जन्म हुआ था. किराना कहे जाने वाले इस घराने के संस्थापक उस्ताद अब्दुल करीम खां और उनके मामूजाद भाई उस्ताद अब्दुल वहीद खां थे. अब्दुल करीम खां की आवाज़ असाधारण रूप से सुरीली और मिठास-भरी थी और उसमें इतना विस्तार था कि वह तीनों सप्तकों –मंद्र, मध्य और तार-से भी परे चली जाती थी. Read More : कैराना का किराना घराने से नाता about कैराना का किराना घराने से नाता

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