तेजस्विनी : ठुमरी की रानी’ गिरिजा देवी

समय के साथ भागता संगीत भले ही ऊंचा और वैविध्यपूर्ण होता जा रहा हो, लेकिन वो उतना ही नकली हो चुका है जितना अब लखनऊ का चिकनकारी वाला कुर्ता. रंग भी है, काम भी है. सजावट भी और वही अर्धपारदर्शी अहसास. लेकिन आत्मा कहीं नहीं है. सब गाने निष्प्राण कंकालों की तरह झूलते नजर आते हैं. जिनपर आप अपने अवसाद और दंभ भुनाने के लिए नाच तो सकते हैं, सुकून नहीं पा सकते. Read More : तेजस्विनी : ठुमरी की रानी’ गिरिजा देवी about तेजस्विनी : ठुमरी की रानी’ गिरिजा देवी

Girija Devi Biography by Craig Harris

is one of India's greatest vocalists. One of the last masters of the Purab ang gayaki tradition of the Banares Gharana, Devi has been equally effective singing in the traditional 18th century classical style of khyal as well as semi-classical styles such as thumri, tappa, kajri, dadra, and chaiti. The recipient of the prestigious Padmashree Award from the president of India in 1972 and the Padma Bhushan in 1989, she has received the Sangeet Natak Academy Awards of Uttar Pradesh and Delhi. Read More : Girija Devi Biography by Craig Harris about Girija Devi Biography by Craig Harris

गिरिजा देवी

गिरिजा देवी

बनारस की आन बान और शान पद्म विभूषण श्रीमती गिरजा देवी जी की कजरी बरसन लागी जो एक बार सुन ले वह बार-बार सुनने को मजबूर हो जाएगा | गिरजा देवी जी  जैसा ओजस्वी व्यक्तित्व मुश्किल से ही कोई होता है

ठुमरी, टप्पा, भजन और खयाल इत्यादि सब कुछ पर समान अधिकार होने के अलावा उनकी अकृत्रिम सुमधुर आवाज़, भरपूर तैयारी और भक्ति भावना से ओत-प्रोत प्रस्तुतिकरण उन्हें अविस्मरणीय बनाता था. खुद भाव प्रमण होकर शब्दों से खेलना और उसके माध्यम रुलाना हँसाना उन्हें खूब आता था. Read More : गिरिजा देवी about गिरिजा देवी

राग क्या हैं

राग क्या हैं

राग संगीत की आत्मा हैं, संगीत का मूलाधार। राग शब्द का उल्लेख भरत नाट््य शास्त्र में भी मिलता है। रागों का सृजन बाईस श्रुतियों के विभिन्न प्रकार से प्रयोग कर, विभिन्न रस या भावों को दर्शाने के लिए किया जाता है। प्राचीन समय में रागों को पुरूष व स्त्री रागों में अर्थात राग व रागिनियों में विभाजित किया गया था।सिऱ्फ यही नहीं, कई रागों को पुत्र राग का भी दर्जा प्राप्त था।उदाहरणत: राग भैरव को पुरूष राग, और भैरवी, बिलावली सहित कई अन्य रागों को उसकी रागिनियॉं तथा राग ललित, बिलावल आदि रागों को इनके पुत्र रागों का स्थान दिया गया था।बाद में आगे चलकर पं व़िष्णु नारायण भातखंडे ने सभी रागों को दस थाटों म Read More : राग क्या हैं about राग क्या हैं

भारतीय नृत्य कला

भारतीय नृत्य कला

भारतीय नृत्य की गौरवशाली परम्परा ईसा से 5000 वर्ष पूर्व की है। भारत का सर्व प्रथम मान्यता प्राप्त नृत्य प्रमाण सिन्धु घाटी सभ्यता काल की ऐक मुद्रा है जिस में ऐक नृत्याँगना को हडप्पा के अवशेषों पर नृत्य करते दिखाया गया है। भारत के लिखित इतिहास में सिन्धु घाटी सभ्यता से 200 ईसा पूर्व तक की कडी टूटी हुई है। Read More : भारतीय नृत्य कला about भारतीय नृत्य कला

भारतीय संगीत

भारतीय संगीत

भारतीय संगीत से, सम्पूर्ण भारतवर्ष की गायन वादन कला का बोध होता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत की 2 प्रणालियाँ हैं। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति अथवा कर्नाटक संगीत प्रणाली और दूसरी हिन्दुस्तानी संगीत प्रणाली, जो कि समुचे उत्तर भारतवर्ष मे प्रचलित है। दक्षिण भारतीय संगीत कलात्मक खूबियों से परिपूर्ण है। और उसमें जनता जनार्दन को आकर्षित करने की और समाज मे संगीत कला की मौलिक विधियों द्वारा कलात्मक संस्कार करने की क्षमता है।
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खुल जाएंगे दिमाग़ के रहस्य

दिमाग़ के रहस्य

सदियों से इंसानी दिमाग़ एक रहस्य रहा है. हालांकि पिछले कुछ दशकों में वैज्ञानिक इसके कुछ रहस्यों से पर्दा उठाने में सफल रहे हैं.

हाल के कुछ सालों में नई तकनीक और शक्तिशाली कंप्यूटरों की मदद से कुछ प्रमुख खोजें हो सकी हैं.

हालांकि इंसान के दिमाग़ के बारे में अभी भी बहुत कुछ समझना बाक़ी है. यहाँ हम आपको उन पांच महत्पूर्ण विषयों के बारे में बता रहे हैं जिनके पता लगने पर इंसानी दिमाग़ के अनसुलझे रहस्यों का राज़ जाना जा सकता है. Read More : खुल जाएंगे दिमाग़ के रहस्य about खुल जाएंगे दिमाग़ के रहस्य

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