रागांग राग वर्गीकरण से अभिप्राय

संगीत रत्नाकर के अनुसार स्वरों के कुल, जाति

संगीत रत्नाकर के अनुसार स्वरों के कुल, जाति

संगीत रत्नाकर १.३.५२ के अनुसार स्वरों के कुल, जाति आदि(श्रीमती विमला मुसलगाँवकर की पुस्तक से साभार)

 

षड्ज

ऋषभ

गान्धार

मध्यम

पञ्चम

धैवत

निषाद

जाति

ब्राह्मण

क्षत्रिय

वैश्य

ब्राह्मण

ब्राह्मण

क्षत्रिय

वैश्य

कुल

स्वर निषाद का शास्त्रीय परिचय

स्वर निषाद का शास्त्रीय परिचय

निषाद स्वर हेतु जगती छन्द का निर्देश है। जगती छन्द पाप नाश हेतु होता है। निषाद स्वर का वार शनिवार कहा गया है। शतपथ ब्राह्मण ४.६.८.१-२ का कथन है – या वै दीक्षा सा निषत्, तत् सत्रम्। शतपथ ब्राह्मण ५.४.४.५ तथा १२.८.३.१० में वाजसनेयि माध्यन्दिन संहिता १०.२७ व २०.२ में प्रकट हुई निम्नलिखित यजु की व्याख्या की गई है-

निषषाद धृतव्रतो वरुणः पस्त्यास्वा। साम्राज्याय सुक्रतुः।। Read More : स्वर निषाद का शास्त्रीय परिचय about स्वर निषाद का शास्त्रीय परिचय

सामवेद व गान्धर्ववेद में स्वर

सामवेद व गान्धर्ववेद में स्वर

सामवेद व गान्धर्ववेद में स्वर

 

स्वर नाम

संकेत

स्थान

तृप्ति(सामविधान ब्राह्मण १.१.१४)

स्वर नाम

स्थान

तृप्ति(नारद पुराण १.५०)

क्रुष्ट

११

मूर्द्धा

देव

पंचम

 

देव, पितर, ऋषि

कुमार गंधर्व

Kumar Gandharva, कुमार गंधर्व, Late Pt. Kumar Gandharva, Master Kumar Gandharva, Pt. Kumar Gandharva, शिवपुत्र सिद्धरामैया कोमकाली

पंडित कुमार गंधर्व को जो एक बार सुन ले वह उन्हें कभी भूल नहीं सकता है | कुमार गंधर्व जी हिंदुस्तानी एवं कर्नाटक संगीत दोनों में महत्वपूर्ण नाम है| कुमार जी के गाए हुए कबीर के भजन एवं निर्गुण भजन हमें अध्यात्म की उन ऊंचाइयों पर पहुंचा देते हैं, जहां पहुंचने में साधक को वर्षों साधना करनी होती है कुमार गंधर्व जी के गाए हुए राग मालकोश और भीमपलासी को कोई भूल नहीं सकता है | कुमार गंधर्व जी हमेशा निर्गुण और निराकार की ओर ही अपने गायन के माध्यम से लोगों को दिशा देते रहे ध्यान और साधना की चाहत जो भी रखते हैं, उनके लिए प्रतिदिन कुमार गंधर्व को सुनना उनके सफर को आसान सु मधुर और नजदीक बना देते हैं कुमा Read More : कुमार गंधर्व about कुमार गंधर्व

शख्सियत में गिरिजा देवी

गिरिजा देवी पूरी दुनिया में भारतीय संगीत की जाना-माना चेहरा थीं. गिरिजा देवी की स्वर साधना ने बनारस घराने और भारतीय शास्त्रीय गायन को एक नया आयाम दिया. ठुमरी को बनारस से निकालकर दुनिया के बीच लोकप्रिय बनाने का काम गिरिजा देवी ने ही किया. ध्रुपद से नाद ब्रम्ह की आराधना करते हुए सुरों को साधने वाली गिरिजा देवी श्रोताओं को संगीत के ऐसे समंदर में डूबाती थीं कि सुनने वाला स्वंय को भूल जाता था. Read More : शख्सियत में गिरिजा देवी about शख्सियत में गिरिजा देवी

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