कत्थक

कथक नृत्य उत्तर प्रदेश का शास्त्रिय नृत्य है। कथक कहे सो कथा कहलाए। कथक शब्द का अर्थ कथा को थिरकते हुए कहना है। प्राचीन काल मे कथक को कुशिलव के नाम से जाना जाता था। कथक राजस्थान और उत्तर भारत की नृत्य शैली है। यह बहुत प्राचीन शैली है क्योंकि महाभारत में भी कथक का वर्णन है। मध्य काल में इसका सम्बन्ध कृष्ण कथा और नृत्य से था। मुसलमानों के काल में यह दरबार में भी किया जाने लगा। वर्तमान समय में बिरजू महाराज इसके बड़े व्याख्याता रहे हैं। हिन्दी फिल्मों में अधिकांश नृत्य इसी शैली पर आधारित होते हैं।
कथक नृत्या भारतीय डाक-टिकट में । यह नृत्य कहानियों को बोलने का साधन है। इस नृत्य के तीन प्रमुख घराने हैं। कछवा के राजपुतों के राजसभा में जयपुर घराने का, अवध के नवाब के राजसभा में लखनऊ घराने का और वाराणसी के सभा में वाराणसी घराने का जन्म हुआ। अपने अपनी विशिष्ट रचनाओं के लिए प्रसिद्ध एक कम प्रसिद्ध 'रायगढ़ घराना' भी है।

सीनियर डिप्लोमा (IV Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

सीनियर डिप्लोमा (IV Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

1. तीनताल, एकताल तथा झपताल में नृत्य की पूरी तैयारी। इन तालों में कम.से.कम 15 मिनट तक बिना बोलों को दोहराये नृत्य प्रदर्शन की क्षमता। तीनताल में एक तालांगी, एक नृत्यांगी, एक कवितांगी तथा एक मिश्रांगी तोड़ों का अभ्यास। तीनताल में तोड़ां द्वारा अतीत तथा अनागत दिखाना।
2. तीनताल में घूंघट के प्रकार तथा बंसी और पनघट के गतभाव।
3. धमार में 4 तत्कार हस्तक सहित, 2 थाट, 1 सलामी, 1 आमद, 5 तोड़े, 2 तिहाइयाँ, 2 परनें तथा 1 चक्कारदार परन।
4. विभिन्न लयकारियों का ज्ञान। तीनताल में तत्कार द्वारा पंचगुन तथा आड़ लयों को पैर से तथा हाथ से ताली देकर दिखाना।
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सीनियर डिप्लोमा (IV Year) - कत्थक (शास्त्र पाठ्यक्रम )

सीनियर डिप्लोमा (IV Year) - कत्थक (शास्त्र पाठ्यक्रम )

1. परिभाषिक शब्दों का पूर्ण ज्ञान - मुद्रा, निकास, स्थानक, अदा, घुमरिया, अंचित, कुंचित, रस, भाव, अनुभाव, भंगिभेद, तैयारी, अभिनय, पिन्डी, प्रमलू, स्तुति, विश्रिप्त, हस्तक, कसक, मसक, कटाक्ष, नाज, अन्दाज।
2. भातखंडे तथा विष्णु दिगम्बर ताललिपि पद्धतियों का पूर्ण ज्ञान तथा दोनों की तुलना।
3. भारत के शास्त्रीय नृत्य - कत्थक, कत्थकली, मणिपुरी, भरत नाट्यम का परिचयात्मक अध्ययन और इनकी तुलना।
4. निम्नलिखित विषयों का पूर्ण ज्ञान- संयुक्त और असंयुक्त मुद्रायें, नृत्य में भाव का महत्व, प्रचलित गत भावों के कथानकों का अध्ययन, नृत्य से लाभ, आधुनिक नृत्यों की विशेषताएँ।
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सीनियर डिप्लोमा (III Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

सीनियर डिप्लोमा (III Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

1. तीनताल में 2 कठिन ततकार हस्तकों सहित, दो नये थाट, एक सलामी, एक आमद, 5 कठिन तोड़े, एक परन तथा एक चक्करदार परन। ततकार को पैर से ठाह, दुगुन, तिगुन तथा चौगुन लयों में निकालना तथा हाथ से ताली देकर बोलने का अभ्यास।
2. झपताल में दो तत्कार - पलटों और हस्तकों सहित, एक चक्करदार तोड़ा, 2 कठिन तोड़े तथा दो तिहाइयाँ।
3. एकताल में दो थाट, एक सलामी, एक आमद, चार ततकार हस्तक सहित, 4 तोड़े तथा दो तिहाइयाँ।
4. सूलताल में दो ततकार तथा दो तोड़े।
5. तीनताल में दो घूंघट का गतभाव।
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सीनियर डिप्लोमा (III Year) - कत्थक (शास्त्र पाठ्यक्रम )

सीनियर डिप्लोमा (III Year) - कत्थक (शास्त्र पाठ्यक्रम )

1. परिभाषा - परन, चक्करदार परन, मुष्टि, पताका, त्रिपताका, मुकुटकरण, रेचक, अंगहार, उपांग, पलटा, ध्वनि की उत्पत्ति, कम्पन, आंदोलन, नाद की विशेषताएँ, नाद स्थान, स्वर, चल और अचल स्वर, शुद्ध तथा विकृत स्वर, सप्तक और सप्तक के प्रकार।
2. लखनऊ और जयपुर घरानों का संक्षिप्त इतिहास।
3. अच्छन महाराज तथा जयलाल जी का जीवन परिचय।
4. भातखंडे तथा विष्णु दिगम्बर ताल पद्धति का ज्ञान।
5. तीवरा, चारताल, आड़ा चारताल तथा धमार का पूर्ण परिचय।
6. भारतीय संगीत में नृत्य का स्थान।
7. तबला तथा पखावज का पूर्ण परिचय। Read More : सीनियर डिप्लोमा (III Year) - कत्थक (शास्त्र पाठ्यक्रम ) about सीनियर डिप्लोमा (III Year) - कत्थक (शास्त्र पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (II Year) - कत्थक (शास्त्र पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (II Year) - कत्थक (शास्त्र पाठ्यक्रम )

1. परिभाषा - नृत्य, नाट नृत्य, तांडव, लास्य, अंग, प्रत्यंग, पढंत, गतभाव, मुद्रा तथा चक्करदार तोड़ा।
2. ध्वनि तथा नाद के विषय में साधारण ज्ञान।
3. उत्तर भारतीय संगीत में प्रचलित भातखंडे अथवा विष्णु दिगम्बर ताललिपि पद्धतियों का साध् ारण ज्ञान।
4. ततकार, ताल के ठेके तथा तोड़े को ताल पद्धति में लिखने का ज्ञान।
5. एकताल तथा सूलताल का पूर्ण परिचय।
6. कत्थक नृत्य का संक्षिप्त इतिहास।
7. महाराज बिंदादीन तथा कालिका प्रसाद का संक्षिप्त जीवन परिचय। Read More : जूनियर डिप्लोमा (II Year) - कत्थक (शास्त्र पाठ्यक्रम ) about जूनियर डिप्लोमा (II Year) - कत्थक (शास्त्र पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (I Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (I Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

1. तीनताल में 4 सरल तत्कार हस्तकों सहित ठाह दुगुन और चौगुन की लय में, एक थाट, एक
सलामी, एक आमद, 5 साधारण तोड़े तथा 2 तिहाईयाँ।
2. दादरा और कहरवा तालों में दो आधुनिक छोटे नृत्य।
3. तीनताल, झपताल, दादरा और कहरवा के ठेके को हाथ से ताली देकर ठाह तथा दुगुन में बोलने
का अभ्यास।
4. तत्कार तथा तोड़ों को हाथ से ताली देकर ठाह तथा दुगुन में बोलना। Read More : जूनियर डिप्लोमा (I Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) about जूनियर डिप्लोमा (I Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (I Year) - कत्थक (शास्त्र पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (I Year) - कत्थक (शास्त्र पाठ्यक्रम )

1. परिभाषा - नृत्य, कत्थक नृत्य, तत्कार, थाट, सलामी, आमद, तोड़ा, ताल, लय, लय के प्रकार,
मात्रा, आवर्तन, विभाग, ठेका, सम, ताली, खाली, ठाह, दुगुन, चौगुन, तिहाई तथा हस्तक।
2. संगीत तथा भारत की दो मुख्य संगीत पद्धतियों की व्याख्या।
3. तत्कार, ताल के ठेके तथा तोड़ों को भातखंडे अथवा विष्णु दिगंबर ताल पद्धति में लिखने
का ज्ञान।
4. तीनताल, झपताल, दादरा तथा कहरवा तालों का पूर्ण परिचय।

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