भाव संगीत

भरतनाट्यम (संगीत प्रवेशिका) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

1. एक से आठ अणु तथा उनका पद संचालन, ठाह तथा दुगुन लय में व्यक्त करना।
2. 10 असंयुक्त मुद्रा दिखाने की योग्यता।
3. तिस्त्रम्, रूपकम् तथा आदि ताल को हाथ से ताली देकर दिखाना। Read More : भरतनाट्यम (संगीत प्रवेशिका) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) about भरतनाट्यम (संगीत प्रवेशिका) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

भरतनाट्यम (संगीत प्रवेशिका) - (शास्त्र पाठ्यक्रम )

भाव संगीत (IV Year) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

भाव संगीत (IV Year) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

1. पिछले सभी वर्षों के पाठ्यक्रम का पूर्ण अध्ययन। गले की तैयारी और सफाई पर विशेष ध्यान।
2. स्वर ज्ञान में विशेष उन्नति। कठिन स्वर समूहों की पहचान। स्वरलिपि में लिखे गीत को गाने और सरल गीत को सुनकर स्वरलिपि करने का अभ्यास।
3. शुद्ध रूप से तानपुरा मिलाने का विशेष अभ्यास।
4. अंकों या स्वरों के सहारे ताली देकर विभिन्न लयकारियों को दिखाना, जैसे - दुगुन (1 में 2 मात्रा), तिगुन (1 में 3 मात्रा), चौगुन (1 में 4 मात्रा), आड़ (2 में 3 मात्रा) और आड़ का उलटा (3 में 2 मात्रा)।
Read More : भाव संगीत (IV Year) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) about भाव संगीत (IV Year) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

भाव संगीत (IV Year) - (शास्त्र पाठ्यक्रम )

भाव संगीत (IV Year) - (शास्त्र पाठ्यक्रम )

1. गीत के प्रकार - टप्पा, ठुमरी, तराना, तिरवट, चतुरंग, भजन, गीत तथा ग़ज़ल का विस्तृत वर्णन। राग.रागिनी पद्धति, आधुनिक आलाप.गायन की विधि, तान के विविध प्रकारों का वर्णन, विवादी स्वर का प्रयोग, निबद्ध गान के प्राचीन प्रकार (प्रबन्ध, वस्तु आदि), धातु, अनिबद्ध गान, अध्वदर्शक स्वर।
2. 22 श्रुतियों का स्वरों में विभाजन (आधुनिक और प्राचीन मतों का तुलनात्मक अध्ययन), खिंचे हुए तार की लम्बाई का नाद के ऊँचे.नीचेपन से सम्बन्ध।
Read More : भाव संगीत (IV Year) - (शास्त्र पाठ्यक्रम ) about भाव संगीत (IV Year) - (शास्त्र पाठ्यक्रम )

भाव संगीत (III Year) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

भाव संगीत (III Year) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

1. स्वर ज्ञान में विशेष उन्नति। तीनों सप्तकों के शुद्ध और विकृत स्वरों का समुचित अभ्यास। कठिन स्वर समूहों को गाना और उन्हें पहचानना।
2. तानपुरा मिलाने का ज्ञान।
3. लय ज्ञान में विशेष उन्नति, दुगुन, तिगुन और चौगुन लयों का अधिक स्पष्ट और पूर्ण ज्ञान।
4. तोड़ी, मारवा और पिछले वर्षों के सभी थाटों में कुछ कठिन अलंकारों का पूर्ण अभ्यास। इस वर्ष गले की तैयारी और सफाई पर विशेष ध्यान होना चाहिए।
Read More : भाव संगीत (III Year) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) about भाव संगीत (III Year) - (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

भाव संगीत (II Year) - (शास्त्र पाठ्यक्रम )

भाव संगीत (II Year) - (शास्त्र पाठ्यक्रम )

1. परिभाषा एवं सरल व्याख्या - ध्वनि, ध्वनि की उत्पत्ति, कंपन, आंदोलन (नियमित, अनियमित, स्थिर, अस्थिर आंदोलन), आंदोलन संख्या, नाद की तीन विशेषताएं, नाद की ऊँचाई.नीचाई का आंदोलन संख्या से संबंध, नाद और श्रुति, गीत के प्रकार - बड़ा खयाल, छोटा खयाल, ध्रुपद, लक्षणगीत तथा उनके अवयव (स्थाई, अंतरा, संचारी, आभोग), जनक थाट, जन्य राग, आश्रय राग, ग्रह, अंश, न्यास, वक्र स्वर, समय और सप्तक का पूर्वांगउत्तरांग, वादी स्वर का राग के समय से संबंध, पूर्व और उत्तर राग, तिगुन, चौगुन, मींड़, कण, स्पर्श स्वर तथा
वक्र स्वर। गमक, गिटकिरी, विश्रान्ति, छूट तथा पुकार की परिभाषा।
Read More : भाव संगीत (II Year) - (शास्त्र पाठ्यक्रम ) about भाव संगीत (II Year) - (शास्त्र पाठ्यक्रम )

Pages

Search engine adsence