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गायन
सीनियर डिप्लोमा (IV Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )
Submitted by raagparichay on 9 May 2022 - 11:51pmसीनियर डिप्लोमा (III Year) - गायन (शास्त्र पाठ्यक्रम )
Submitted by raagparichay on 9 May 2022 - 11:50pm क्रियात्मक परीक्षा १०० अंकों कि तथा शास्त्र का एक प्रश्न-पत्र ५० अंकों का।
पिछले वर्षों सम्पूर्ण पाठ्यक्रम भी इसमें सम्मिलित है।
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प्रवीण संगीताचार्य (VII Year) - गायन (मंच प्रदर्शन पाठ्यक्रम )
Submitted by raagparichay on 8 March 2020 - 5:04pm मंच प्रदर्शन
1. मंच प्रदर्शन में गायन के परीक्षार्थीं को सर्वप्रथम उपर्युक्त विस्तृत अध्ययन के 15 रागों में से अपनी इच्छानुसार किसी भी एक राग में विलम्बित तथा दु्रत खयाल लगभग 30 मिनट तक या परीक्षक द्वारा निर्धारित समय में पूर्ण गायकी के साथ गायन। इसके बाद थोड़ी देर किसी राग की ठुमरी, भजन या भावगीत गाने का अभ्यास।
2. मंच प्रदर्शन के समय परीक्षाकक्ष में श्रोतागण भी कार्यक्रम सुनने हेतु उपस्थित रह सकते हैं।
3. परीक्षक को अधिकार होगा कि यदि वे चाहें तो निर्धारित समय से पूर्व भी परीक्षार्थी का प्रदर्शन समाप्त कर सकते हैं। Read More : प्रवीण संगीताचार्य (VII Year) - गायन (मंच प्रदर्शन पाठ्यक्रम ) about प्रवीण संगीताचार्य (VII Year) - गायन (मंच प्रदर्शन पाठ्यक्रम )
प्रवीण संगीताचार्य (VII Year) - गायन (मौखिक पाठ्यक्रम )
Submitted by raagparichay on 8 March 2020 - 5:03pm
1. निम्नलिखित 15 रागों का विस्तृत अध्ययन - शुद्ध सारंग, मारू बिहाग, नन्द, हंसध्वनि, मलूहा केदार, जोग,
मद्यमाद सांरग, नारायणी, अहीर भैरव, पूरिया कल्याण, आभोगी कान्हड़ा, सूर मल्हार, चन्द्रकौस, गुजरी
तोड़ी, मधुवन्ती।
2. परीक्षार्थियों के लिए उपर्युक्त सभी रागों में विलम्बित तथा दु्रत खयालों को विस्तृत रूप से गाने की पूर्ण
तैयारी। इनमें से कुछ रागों में धु्रपद, धमार, तराना, चतुरंग आदि कुशलता पूर्वक गाने का अभ्यास। अपनी
पसंद से कुछ रागों में ठुमरी, भजन या भावगीत सुदंर ढंग से गाने की तैयारी।
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प्रवीण संगीताचार्य (VII Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) द्वितीय प्रश्नपत्र
Submitted by raagparichay on 8 March 2020 - 5:02pm1. प्रथम से षष्टम वर्ष के सभी पाठ्यक्रम में दिये गये सभी क्रियात्मक संगीत सम्बन्धित शास्त्र का विस्तृत एवं आलोचनात्मक अध्ययन।
2. पाठ्यक्रम के सभी रागों का विस्तृत, आलोचनात्मक एवं तुलनात्मक अध्ययन। रागों में न्यास के स्वर, अलपत्व.बहुत्व के स्वर, विवादी स्वर और इनका प्रयोग, आविर्भाव.तिरोभाव का प्रदर्शन, समप्रकृतिक रागों की तुलना, रागों में अन्य रागों की छाया आदि विषय के सम्बन्ध में विस्तृत ज्ञान। विगत वर्ष के सभी रागों का पूर्ण ज्ञान होना अनिवार्य है।
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प्रवीण संगीताचार्य (VII Year) - गायन (शुद्ध सिद्धान्त पाठ्यक्रम ) प्रथम प्रश्नपत्र
Submitted by raagparichay on 8 March 2020 - 4:50pmप्रथम प्रश्न पत्र - प्रथम प्रश्न पत्र - शुद्ध सिद्धान्त शुद्ध सिद्धान्त
1. पिछले सभी वर्षां के पाठ्यक्रम में दिये गये सभी शास्त्र सम्बन्धी विषयों तथा पारिभाषिक शब्दों का विस्तृत और आलोचनात्मक अध्ययन।
2. संगीत के सिद्धान्तां का वैज्ञानिक तथा व्यावहारिक विश्लेषण।
3. संगीत की उत्पत्ति तथा इसके सम्बन्ध में आलोचनात्मक विचार।
4. श्रुति समस्या, श्रुति स्वर विभाजन एवं सारणा चतुष्टयी का विस्तृत एवं आलोचनात्मक अध्ययन।
5. ग्राम, मूर्च्छना, आधुनिक संगीत में मूर्च्छनाओं का प्रयोग, जाति गायन और इनका राग गायन में विकसित होना इत्यादि विषयों का अध्ययन।
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