प्रयाग संगीत समिति

देशराज मेजर (डॉ) रंजीत सिंह, स्वर्गीय बैजनाथ सहाय और स्वर्गीय सत्यानंद जोशी द्वारा 1926 में महा शिवरात्रि के शुभ दिन पर स्थापित, प्रयाग संघर्ष समिति भारत में संगीत के अभ्यास और प्रसार के लिए प्रमुख बनी हुई है। यह समिति 1860 के भारतीय सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत एक संगठन है और इसे भारत में भारतीय शास्त्रीय संगीत के कारण को लोकप्रिय बनाने के एकमात्र उद्देश्य से स्थापित किया गया था।
प्रयाग संघर्ष समिति संगीत को तिरस्कार से बचाने के लिए एक बहादुर प्रयास है, जो कि 15 वीं से 17 वीं शताब्दी के दौरान आया था। नौ दशक के अपने अस्तित्व के दौरान, समिति शास्त्रीय संगीत की दुनिया में मशाल-वाहक की भूमिका निभाती रही है और यह इस उदात्तता की उच्चतम और सबसे समृद्ध परंपराओं को लगातार बनाए रखने के लिए उच्च प्रतिष्ठा हासिल करने में खुद को कानूनी रूप से गौरवान्वित कर सकती है। कला।

जूनियर डिप्लोमा (II Year) - गायन (शाश्त्र पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (II Year) - गायन (शाश्त्र पाठ्यक्रम )

१. निम्नलिखित सरल विषयों तथा पारिभाषिक शब्दों का साधारण ज्ञान- ध्वनि, ध्वनि कि उत्पत्ति, कम्पन्न, आन्दोलन (नियमित-अनियमित, स्थिर-अस्थिर आंदोलन), आन्दोलन - संख्या, नाद कि तीन विशेषताएं, नाद, कि उच्च - नीचता का आंदोलन-संख्या से सम्बंध, नाद और श्रुति, गीत के प्रकार-बड़ा-ख्याल, छोटा ख्याल, ध्रुपद तथा लक्षण-गीत के अवयव (स्थाई, अंतरा,  संचारी,आभोग), जनकथाट, जन्यराग, आश्रयराग, ग्रह , अंश, न्यास, वक्र-स्वर, समयसमय और सप्तक का पूर्वांग-उत्तरांग, वादी-स्वर का राग के समय से सम्बंध, पूर्व-उत्तर राग, तिगुन, चौगुन, मीड, कण, स्पर्श-स्वर तथा वक्र स्वर। 
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जूनियर डिप्लोमा (II Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (II Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

क्रियात्मक - परीक्षा १०० अंकों  शाश्त्र का एक प्रश्न-पत्र ५० अंकों का।
द्वितीय वर्ष के परीक्षा में प्रथम वर्ष का सम्पूर्ण पाठ्यक्रम भी सम्मिलित है।
क्रियात्मक 
१. स्वर-ज्ञान-शुद्ध, कोमल तथा तीव्र-स्वरों का गाने और पहचानने काविशेष ज्ञान।  प्रथम-वर्ष कि अपेक्षा कठिन स्वर - समूहों का गाने और पहचानने का अभ्यास। 
२. लय ज्ञान- ठाह दुगुन और चौगुन लयों को  अथवा स्वरों कि सहायता से दिखाना। 
३. प्रथम-वर्ष कि अपेक्षा कुछ कठिन अन्य अलंकारों को विलम्बित, मध्य और द्रुत-लयों में सरगम और आकर में गाने का विशेष अभ्यास। 
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जूनियर डिप्लोमा (I Year) - गायन (शास्त्र पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (I Year) - गायन (शास्त्र पाठ्यक्रम )

१. निम्नलिखित सरल  विषयों तथा पारिभाषिक शब्दों का साधारण प्रारंभिक ज्ञान -
     भारत कि दो संगीत-पद्धतियाँ , ध्वनि ध्वनि कि उत्पत्ति , नाद, नाद-स्थान, श्रुति, स्वर, प्राकृत स्वर, अचल और चल स्वर, शुद्ध और विकृत-स्वर (कोमल व तीव्र), सप्तक (मंद्र , मध्य, तार ), थाट , राग, वर्ण (स्थायी, आरोही-अवरोही, संचारी), अलंकार (पलटा), राग जाती (औडव, षाडव , सम्पूर्ण) वादी, संवादी, अनुवादी, वर्हित स्वर, पकड़ आलाप तान, ख्याल, सरगम, स्थाई, अंतरा, लय (विलम्बित, मध्य, द्रुत), मात्रा, ताल विभाग, सम ताली, खली ठेका, आवर्तन, ठाह तथा दुगुन।
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जूनियर डिप्लोमा (I Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (I Year) - गायन (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

क्रियात्मक-परीक्षा १०० अंको कि होगी।  शास्त्र का एक प्रश्न - पत्र ५० अंको का।
क्रियात्मक 
१. स्वर-ज्ञान - ७ शुद्ध और ५ विकृत-स्वरों को गाने और पहचानने का ज्ञान, अधिकतर दो-दो स्वरों के सरल समूहों को गाने और पहचानने का अभ्यास।  शुद्ध-स्वरों का विशेष ज्ञान। 
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संगीत प्रभाकर (VI Year) - गायन (शुद्ध शास्त्र पाठ्यक्रम ) द्वितीय प्रश्नपत्र

संगीत प्रभाकर (VI Year) - गायन (शुद्ध शास्त्र पाठ्यक्रम ) द्वितीय प्रश्नपत्र

द्वितीय प्रश्नपत्र – शुद्ध शास्त्र (Second Paper - Theory)

१.      पिछले सभी वर्षों के शास्त्र सम्बंधित विषयों का सूक्ष्म तथा विस्तृत अध्ययन.

जूनियर डिप्लोमा (II Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

जूनियर डिप्लोमा (II Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

1. तीनताल में अन्य 4 कठिन ततकार हस्तकों सहित, दो थाट, एक सलामी, एक आमद, 5 कठिन
तोड़े, एक चक्करदार तोड़ा, दो सरल गत भाव तथा दो तिहाइयाँ।
2. झपताल में दो तत्कार, एक थाट, एक सलामी, एक आमद, 5 सरल तोड़े तथा दो तिहाइयाँ।
3. दादरा और कहरवा तालों में लोक नृत्य।
4. एकताल तथा सूलताल के ठेके को ठाह, दुगुन तथा चौगुन में हाथ से ताली देकर बोलना।
5. तत्कार तथा तोड़ों को हाथ से ताली देकर ठाह, दुगुन और चौगुन में बोलना। Read More : जूनियर डिप्लोमा (II Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम ) about जूनियर डिप्लोमा (II Year) - कत्थक (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )

भरतनाट्यम (III Year) - (शास्त्र पाठ्यक्रम )

1. पिछले वर्षों के पाठ्यक्रम का विशेष अध्ययन।
2. शब्दम् शब्द का अर्थ सहित पूर्ण ज्ञान।
3. नव.रसों का पूर्ण ज्ञान।
4. भरतनाट्यम.शास्त्र की 24 असंयुक्त मुद्राओं का श्लोक सहित अर्थ ज्ञान।
5. अभिनय दर्पण की 28 असंयुक्त मुद्राओं का श्लोक सहित ज्ञान।
6. आंगिक, वाचिक तथा अहर्य अभिनय के भेद।
7. द्वितीय वर्ष के पाठ्यक्रम के 10 संयुक्त मुद्राओं का किन.किन अर्थों में प्रयोग होता है, उसका ज्ञान।
8. मिनाक्षी सुन्दरम् पिल्ले, चोकलिंगम पिल्ले तथा पुन्नैया पिल्ले की जीवनी तथा योगदान।
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