सिलेबस : प्रारंभिक महागुजरात गन्धर्व संगीत समिति

Courses Subject: 

महागुजरात गाांधर्व सांगीत सममतत
गायन और वादन का अभ्यासक्रम
सांगीत अलांकार (1).

क्रक्रयात्मक – कुल 600 अंक (क्रक्रयात्मक परीक्षा – 500 अंक + सभागायन 100 अंक), लेखित – 100 अंक, कुल अंक – 700.
समय: - सांगीत वर्शारद के बाद 1 साल (कम से कम 200 घांटे का प्रमशक्षण).
परीक्षा समय: - ज्यादा से ज्यादा 120 ममतनट (2 घांटे) और सभागायन का समय अलग.

क्रक्रयात्मक - 600 अंक : -
1) अभ्यासक्रम के बड़े ख्याल के राग: - कुल 10 राग करने है.

2) बडाख्याल के राग: - (250 अंक)
(1) शुद्ध सारांग (2) अहीर भैरर् (3) सुर मल्हार (4) मेघ मल्हार (5) देसी (6) जोग (7) देर्गगरर बबलर्ाल (8) कोमलरीषभ आसार्री (9) बबलासिानी तोडी (10) मारर्ा.
इन में से ककन्ही 6 रागो में ढंगदार विस्तृत गायकी करनी होगी. ऊपर ददये गए 10 रागो में से ककन्ही 06 रागो में बडा ख्याल - छोटा ख्याल पूर्ण रूपसे गायकी अंग से प्रस्तुत करना होगा. साथमें तराना की प्रस्तुतत सराहनीय होगी. बाकी के 4 रागो में मात्र बडे ख्याल और छोटे ख्याल की बंददश की गायकी अंग से ढंगदार प्रस्तुतत करने की क्षमता होनी चादहए.

3) अन्य छोटे ख्याल के राग: - (75 अंक)
(1) रामदासी मल्हार (2) शहाना (3) नायकी कानडा (4) र्सांत बहार (5) मधमाद सारांग (6) कलार्ती.
इन में से ककन्ही भी 4 रागो में गायकी अंग से मध्यलय की प्रस्तुतत 15 ममतनट तक करनी है. बाकी के रागों की शास्त्रीय जानकारी.
सूचना: - बड़ेख्याल – विलंबबत एकताल, विलंबबत तीनताल, विलंबबत झूमरा, विलंबबत ततलिाड़ा में से ककसी भी ताल में तैयार कर सकते है. मध्यलय की बंददश अगर अलग – अलग ताल में की होगी तो सराहनीय होगी.
4) ध्रुपद – धमार की प्रस्तुतत : - (75 अंक)
उपरोक्त 16 रागों में से ककन्ही भी 2 रागों में धमार और अन्य 2 रागों में ध्रुपद नोमतोम आलाप के साथ तैयार करना है. विविध लयकारी के साथ बबना रुकािट ढंगदार 15 ममतनट की प्रस्तुतत होनी चादहए. और िह प्रस्तुतत उसी गायन शैली में करने की क्षमता होनी चादहए.
या
5) उपशास्रीय सांगीत: - (75 अंक)
काफी – पीलू – खमाज इन में से ककन्ही भी 02 रागों में विलंबबत लय में – दीपचंदी, जत ताल या चाचर ताल में ठुमरी गायन शैली में ढंगदार 15 ममतनट की प्रस्तुतत की क्षमता.
दादरा, चैती शैली के बारे में विस्तारपूर्ण जानकारी और ककसी भी एक शैली के गीत की प्रस्तुतत करनी होगी.

6) अप्रचमलत तालो में प्रस्तुतत: - (25 अंक)
विद्याथी को 9,11 मात्रा के कोई भी ताल में 5 ममतनट की ढंगदार प्रस्तुतत करनी होगी. इन तालो की शास्त्रीय जानकारी भी होनी चादहए.

7) वर्द्यार्थी को वर्शारद तक के अभ्यासक्रम के प्रश्न पूछे जाएांगे. (75 अंक)

8) शास्र : - (लेखित – 100 अंक).
1) ऊपर मलखे सभी रागों की शास्त्रीय जानकारी. उन रागों के मतभेद, समप्रकृतत, समआकृतत, समस्िराकृतत िाले रागों के बारे में विस्तृत जानकारी होनी चादहए. उन रागों का तुलनात्मक अभ्यास करना है.
2) बंददश मलवपबद्द करने की क्षमता होनी चादहए.
3) राग रचना मसद्दांतो की विस्तृत जानकारी.
4) ताल रचना मसद्दांतो की विस्तृत जानकारी.
5) तार की लंबाई पर शुद्द स्वरों की स्थापना के बारे में जानकारी.
6) गायन में श्रुतत का स्थान.
7) आपके पसंदीदा ककसी भी एक घराने की विशेषता और उस घराने के ककसी भी एक कलाकार और उस की गायकी का अभ्यास और उस के विमशष्ठ मुव की लेखखत स्वरूप में एिम गायन प्रस्तुतत के साथ समझाने की क्षमता.
8) तनबंध के विषय – (क) संगीत और लमलत कलाओ का संबंध (ख) लोकसंगीत और समाज (ग) शास्त्रीय संगीत की कल, आज और कल (ध) संगीत विषय में आप के द्िारा पढ़ी हुई ककसी एक ककताब के बारे में (च) हिेली संगीत.
9) ताल संगत और स्वर संगत में ध्यान में रखने योग्य बातें.
10) संगीत उपयोगी आिाज बनाने की प्रकिया की जानकारी और उस की समझ देने की क्षमता.
11) पाश्चात्य संगीत में शुद्द – विकृत – मेजर माइनोर स्केल – स्टाफ नोटेशन के बारे में विस्तृत जानकारी.
12) अष्टांग गायकी की जानकारी.

9) सभागायन – 100 अंक.
सांगीतप्रेमी श्रोताजन समक्ष वर्ध्यार्थी का सभगायन होगा, जजसमे वर्ध्यार्थी को -
क) परीक्षक के पसंदीदा राग में बड़ाखयाल – छोटाख्याल की प्रस्तुतत गायकी अंग से प्रस्तुतत 20 से 25 ममतनट की होगी – 50 अंक,
ख) ध्रुपद – धमार या ठुमरी गायन की भाियुक्त प्रस्तुतत 15 ममतनट की होगी – 25 अंक.
ग) कियात्मक परीक्षा के िक्त विध्याथी को अभ्यासिम के ककसी एक विषय बताएँगे जजस के पर 5 से 7 ममतनट का व्याख्यान देना होगा या कियात्मक परीक्षा के िक्त एक बंददश के शब्द ददये जाएगे, विध्याथी को उस बंददश को योग्य राग और ताल में स्िरांकन कर के 5 ममतनट की प्रस्तुतत करनी होगी.– 25 अंक.
सूचना: - 1) ख्याल गायन – ध्रुपद और धमार गायन एर्म उपशास्रीय सांगीत की प्रस्तुतत के बारे में अांत में दी गई सूचना, सांगीत गुरु और वर्द्यार्थी ध्यान करें.
2) ताल सांगत जीर्ांत रहेगी.

 
 

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