संपर्क : 9259436235
सीनियर डिप्लोमा (IV Year) - तन्त्र वाद्य (क्रियात्मक पाठ्यक्रम )
Submitted by raagparichay on 11 May 2022 - 11:34pm
महाविद्यालय:
Courses Subject:
Paper:
चतुर्थ वर्ष (सीनियर डिप्लोमा) क्रियात्मक
- पिछले वर्षों के पाठ्यक्रमों का विशेष अभ्यास. स्वर-ज्ञान, लय-ज्ञान और राग-ज्ञान में निपुणता.
- वाद्य मिलाने का पूर्ण अभ्यास.
- अंकों या स्वरों के सहारे ताली देकर विभिन्न लयों का प्रदर्शन जैसे-दुगुन (१ मात्रा में २ मात्रा बोलना), तिगुन (१ में ३), चौगुन (१ में ४), आड़ (२ में ३), आड़ का उल्टा (३ में २), पौनगुन (४ में ३), सवागुन (४ में ५)
- गिटकिरी, मुर्की, खटका, कण, कृन्तन, जमजमा, लाग-डाट, घसीट आदि बजने का अभ्यास. कुछ कठिन मींड जैसे = जमजमा की मींड, मुर्की की मींड, गिटकिरी की मींड, सूत की मींड आदि निकालना.
- सुन्दर आलाप, जोड़ और झाले का विशेष अभ्यास.
- केदार, पटदीप, जैजैवंती,पुरिया, मारवा, कामोद, दरबारी-कान्हड़ा,, अड़ाना तथा देशकार रागों का पूर्ण-ज्ञान और प्रत्येक में एक-एक राजखानी गत या छोटा ख्याल सुन्दर आलाप, कठिन तान, तोड़ों, और झाला सहित.
- केदार, तोड़ी, मुल्तानी, पुरिया और दरबारी कान्हड़ा रागों का पूर्ण आलाप-जोड़ तथा एक-एक मसितखानी गत या बड़ा ख्याल कठिन और सुन्दर तान तोड़ों सहित.
- टप्पा और ठुमरी के ठेकों का साधारण ज्ञान. जत और आड़ा-चारताल का पूर्ण ज्ञान और इनको विभिन्न लयों में ताल देकर बोलना.
- बजाकर रागों में समता-विभिन्नता दिखाना.
- छोटे-छोटे स्वर-समूहों द्वारा राग पहिचान.