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कजरी नाच
यह ऋतुगीत है जो सावन - भादों के महीनों में खेतों खलिहानों से लेकर शहरों तक गाया व नाचा जाता है। पूर्व में इसके अखाड़े हुआ करते थे, बड़े - बड़े दंगल हुआ करते थे। स्त्री - पुरुष सभी प्रतियोगिताओं में सम्मिलित होते थे। नगर की वेश्याएं भी भाग लेती थीं। गायन के रूप में उत्पन्न यह विधा अब पूर्णतः नृत्य में परिवर्तित हो चुकी है।
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