करमा नृत्य

'करमा' आदिवासियों का विश्वप्रसिद्ध नृत्य है। आदिवासी जहाँ भी है करमा नृत्य अवश्य करते हैं। खरीफ की फसल बो दिए जाने के बाद अनंत चतुर्दशी और फिर रबी की फसल करने के साथ होली के अवसर पर यह नृत्य स्त्री -पुरुष, बाल - वृद्ध सभी एक साथ समूह में करते हैं। उनका यह अनुष्ठान लगभग एक माह पूर्व से ही प्रारम्भ हो जाता है। 'जयी' जमाई जाती है। करम वृक्ष की डाल युवा अथवा गांव का बैगा द्वारा एक ही बार में काट कर लाई जाती है। गांव अथवा गांवों के सभी आदिवासी उसे जमीन पर धरे बिना नाचते गाते किसी सार्वजानिक स्थल पर लाते हैं, उसे वहीँ रोपते हैं। प्रसाद चढ़ाते और फिर नाचना शुरू करते हैं, तो वह सिलसिला चौबीस घंटे चलता है, यदा- कदा युवक -युवती के पांवों के यदि अंगूठे मिल जाते हैं, तो वहीँ उनका विवाह भी करा दिया जाता है। "करमा" पुरुषार्थ व पर्यावरण का प्रतीक नृत्य है।

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