थुलाल नृत्य

थुलाल नृत्य केरल के प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यों में से एक है। यह एकल नृत्य है, जिसके तीन प्रकार हैं। इस नृत्य के उद्भव का श्रेय केरल के प्रसिद्ध कवियों में से एक 'कंचन नांबियार' को दिया जाता है। हालांकि 'नाट्यशास्त्र' के शास्त्रीय सिद्धांतों पर आधारित इस कला की तकनीक कठोर नहीं है। नृत्य के गीत सरल व सरस मलयालम भाषा में लिखे होते हैं। इन मुखर गीतों में हास्य का पुट होता है। प्रस्तुती भी सरल होती है और थुलाल में जीवन के हर दिन से सीधा संबंध इसे लोकप्रिय बनाता है। थुलाल में उपयोग होने वाले वाद्य यंत्र 'मद्दलम' और 'झांझ' हैं। झांझ बजाने वाले की धुन कलाकार नर्तकी (थुलाकरन) को गाने में सहायता करती है।

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भारतीय शास्‍त्रीय नृत्‍य

भारतीय शास्‍त्रीय नृत्‍य

साहित्‍य में पहला संदर्भ वेदों से मिलता है, जहां नृत्‍य व संगीत का उदगम है । नृत्‍य का एक ज्‍यादा संयोजित इतिहास महाकाव्‍यों, अनेक पुराण, कवित्‍व साहित्‍य तथा नाटकों का समृद्ध कोष, जो संस्‍कृत में काव्‍य और नाटक के रूप में जाने जाते हैं, से पुनर्निर्मित किया जा सकता है । शास्‍त्रीय संस्‍कृत नाटक (ड्रामा) का विकास एक वर्णित विकास है, जो मुखरित शब्‍द, मुद्राओं और आकृति, ऐतिहासिक वर्णन, संगीत तथा शैलीगत गतिविधि का एक सम्मिश्रण है । यहां 12वीं सदी से 19वीं सदी तक अनेक प्रादेशिक रूप हैं, जिन्‍हें संगीतात्‍मक खेल या संगीत-नाटक कहा जाता है । संगीतात्‍मक खेलों में से वर्तमान शास्‍त्रीय नृत्‍य-रूपों Read More : भारतीय शास्‍त्रीय नृत्‍य about भारतीय शास्‍त्रीय नृत्‍य

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