नवरता नृत्य

स्थानीय त्‍यौहारों पर बुंदेलखंड में विभिन्न प्रकार के लोक नृत्य किये जाते हैं, जिनमें बधाई नृत्य, कानड़ा नृत्य, बरेदी नृत्य, ढिमरयाई नृत्य, नौरता नृत्य, दुलदुल घोड़ी नृत्य लाकौर या रास बधावा नृत्य, बहू उतराई का नृत्य और राई लोक नृत्य प्रमुख हैं। इन नृत्यों में से बधाई नृत्य और राई नृत्य ऐसे हैं जो सालभर चलते रहते हैं।

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जनजातीय और लोक संगीत

जनजातीय और लोक संगीत

जनजातीय और लोक संगीत उस तरीके से नहीं सिखाया जाता है जिस तरीके से भारतीय शास्‍त्रीय संगीत सिखाया जाता है । प्रशिक्षण की कोई औपचारिक अवधि नहीं है। छात्र अपना पूरा जीवन संगीत सीखने में अर्पित करने में समर्थ होते हैं । ग्रामीण जीवन का अर्थशास्‍त्र इस प्रकार की बात के लिए अनुमति नहीं देता । संगीत अभ्‍यासकर्ताओं को शिकार करने, कृषि अथवा अपने चुने हुए किसी भी प्रकार का जीविका उपार्जन कार्य करने की इजाजत है। Read More : जनजातीय और लोक संगीत about जनजातीय और लोक संगीत

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