झूमर नाच

विवाह, गवना, यज्ञोपवीत, मुंडन, अन्नप्राशन आदि संस्कारों तथा दीपावली, दशहरा, अनंत चतुर्दशी के अवसरों पर महिलाएं हाथ में हाथ मिलाकर वृत्त या अर्धवृत्त बनाकर झूमर नाचती और गाती हैं। टेक की बार- बार आवृति तथा द्रुतगति और लय के आरोह- अवरोह के साथ गाकर नाच जाने वाला यह नृत्य पूर्वांचल की एक प्रमुख नृत्य है। आदिवासी महिलाएं 'कछाड़' मार कर अपने वन्य वेश -भूषा में जब झूमकर नाचने लगती समां बंध जाता है। यदा -कदा थपोरी भी बजाती हैं। महुआ बीनने, पत्ता तोड़ने, गोदना गोदने का कार्य के साथ अभिनय करती हैं। इसे धांगर, धरकार, घसिया, गोड जाति की महिलाएं बीया गडनी के अवसर पर विशेष उत्साह के साथ किसी नदी या तालाब के किनारे एकत्र होकर नाचती हैं। नृत्य के बीच-बीच में वन की बोली 'हूं-हूं' करती रहती हैं

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