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जनजातीय और लोक संगीत
जनजातीय और लोक संगीत उस तरीके से नहीं सिखाया जाता है जिस तरीके से भारतीय शास्त्रीय संगीत सिखाया जाता है । प्रशिक्षण की कोई औपचारिक अवधि नहीं है। छात्र अपना पूरा जीवन संगीत सीखने में अर्पित करने में समर्थ होते हैं । ग्रामीण जीवन का अर्थशास्त्र इस प्रकार की बात के लिए अनुमति नहीं देता । संगीत अभ्यासकर्ताओं को शिकार करने, कृषि अथवा अपने चुने हुए किसी भी प्रकार का जीविका उपार्जन कार्य करने की इजाजत है।
गावों में संगीत बाल्यावस्था से ही सीखा जाता है और इसे अनेक सार्वजनिक कार्यकलापों में समाहित किया जाता है जिससे ग्रामवासियों को अभ्यास करने और अपनी दक्षताओं को बढ़ाने में सहायता मिलती है ।
संगीत जीवन के अनेक पहलुओं से बना एक संघटक है, जैसे विवाह, सगाई एवं जन्मोत्सव आदि अवसरों के लिए अनेक गीत हैं । पौधरोपण और फसल कटाई पर भी बहुत से गीत हैं । इन कार्यकलापों में ग्रामवासी अपनी आशाओं और आंकाक्षाओं के गीत गाते हैं ।