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मेवाती घराने की पहचान हैं पंडित जसराज
इस घराने के प्रतिनिधि गायक नाज़िर खान थे. इस घराने की गायकी में वैष्णव भक्ति का प्रभाव भी सुनने को मिलता है. इस घराने के गायक आम तौर पर अपनी गायकी खत्म करने से पहले एक भजन जरूर सुनाते हैं. विश्वविख्यात कलाकार पंडित जसराज इस घराने के मौजूदा प्रतिनिधि कलाकार हैं. नए कलाकारों में पंडित संजीव अभ्यंकर का नाम भी बड़े अदब से लिया जाता है.
भारतीय शास्त्रीय संगीत के विश्वविख्यात गायक, पण्डित जसराज ८० वर्ष के हो गए हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत को उनका योगदान पिछले छह दशकों से भी ज़्यादा समय से मिल रहा है।
२९ जनवरी २००५ को दिल्ली में मेवाती घराने के इस कलाकार का ७५वाँ जन्मदिन मनाया गया। इसी अवसर पर आयोजित एक सम्मान समारोह में पाणिनी आनंद ने उनसे ख़ास बातचीत की।
प्रस्तुत है इस बातचीत के कुछ प्रमुख अंश-
जीवन के 75 बसंत पार करके आज कैसा अनुभव कर रहे हैं?
बहुत ही सुंदर अनुभूति हो रही है पर कई लोगों के न होने का दुख भी है। ख़ासकर उन लोगों के बिछुड़ने का, जिनसे सीखकर और जिनके सानिध्य से ही आज इस मुकाम तक पहुँचा हूँ।
संगीत के क्षेत्र को आपका बहुत बड़ा योगदान है। आज इस अवस्था तक आकर आप को क्या लगता है, जीवन में संगीत यात्रा कहाँ तक पहुँची है?
कई बार ऐसा होता है कि गाते-गाते स्वरों को खोजने लगता हूँ, ढूँढने लगता हूँ कि कहीं से कोई सुर मिल जाए. उस दिन लोग कहते हैं कि आपने तो आज ईश्वर के दर्शन करा दिए। यह कह पाना बहुत कठिन है कि कितनी साँसें लेनी हैं, कितने कार्यक्रम करने हैं। मैं नहीं मानता कि संगीत के क्षेत्र में मेरा कोई योगदान है। मैं कहाँ गाता हूँ। मैंने कुछ नहीं किया है। मैं तो केवल माध्यम मात्र हूँ। सब ईश्वर और मेरे भाईजी की कृपा और लोगों का प्यार है।
कई बार ऐसा होता है कि गाते-गाते स्वरों को खोजने लगता हूँ, ढूँढने लगता हूँ कि कहीं से कोई सुर मिल जाए. उस दिन लोग कहते हैं कि आपने तो आज ईश्वर के दर्शन करा दिए और जिस दिन मुझे लगता है कि मैंने बहुत अच्छा गाया, कोई पूछ बैठता है, पण्डित जी, आज क्या हो गया था।
पर हाँ, मैं ये मानता हूँ कि हर कलाकार, जो इस देश में पैदा हुआ और जिसने अपनी जगह बनाई है, उसका संगीत को एक बड़ा योगदान होता है। ये योगदान तो लोग ही सही-सही बता सकते हैं। कलाकार अपने योगदान को नहीं जान पाता.
आज शास्त्रीय संगीत को लेकर कई तरह के प्रयोग हो रहे हैं। कई कलाकार अपने एलबम जारी कर रहे हैं। इसे किस रूप में देखा जाए?
ये मेरी दृष्टि से किसी बड़ी बहस का विषय नहीं है। नए कलाकारों ने अपने स्तर पर मेहनत करके अपनी जगह बनाई है और आज एक बड़ी संख्या ऐसे कलाकारों को सुन रही है।
कई कलाकारों ने अपने काम के जरिए शास्त्रीय संगीत के प्रसार को बढ़ाया है और दुनियाभर में लोग उनको सुन रहे हैं, यह सकारात्मक संकेत है।
(साभार- बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम)
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