अगर आपके दिमाग पर तनाव हावी रहता है तो रात में राग दरबारी का लुत्फ उठाइए। तनाव छूमंतर हो जाएगा। दोपहर में राग भीमपलासी सुनना भी दिमाग को शांत रखने, तनाव को कम करने में मददगार होता है। यही नहीं, डायबिटीज या दिल से जुड़ी कोई बीमारी है तो भी अलग-अलग राग इन बीमारियों से लड़ने में आपकी मदद कर सकते हैं। रागों का इंसान के दिलो-दिमाग पर पड़ने वाले असरों पर आईआईटी-कानपुर ने अध्ययन किया है।
हृदय रोगोंं से एसिडिटी के लिए तय किए गए राग
रिपोर्ट के अनुसार, अगर आपको गुस्सा आता है, तो राग सहाना सुनिए। दिमाग शांत होगा, गुस्सा कम होगा। पेट से जुड़ी कोई समस्या है तो राग पूरिया धनाश्री, एसिडिटी है तो राग दीपक और राग जौनपुरी सुनना चाहिए। हृदय रोग से परेशान हैं तो सारंग वर्ग के राग, कल्याणी और चारुकेसी। सिरदर्द है तो राग आसावरी, पूर्वी और राग तोड़ी सुन सकते हैं।
100 सेकंड में बढ़ जाती है न्यूरॉन की सक्रियता
ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंस के प्रोफेसर बृजभूषण, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा और शोधार्थी आशीष गुप्ता इस रिसर्च टीम में हैं। इंस्टीट्यूट के ही कुछ ऐसे छात्रों पर शोध किया गया, जिन्होंने पहले कभी राग दरबारी नहीं सुना था। 10 मिनट तक उन्हें राग सुनाया गया। ईईजी टेस्ट से पता चला कि- राग सुनने के दौरान महज 100 सेकंड में ही दिमाग के न्यूरॉन्स की सक्रियता बढ़ जाती है।
रात में दिमाग ज्यादा सक्रिय रहता है
राग से दिमाग में न्यूरल फायरिंग बढ़ती है इसलिए यह हिस्सा ज्यादा सक्रिय होता है। आम तौर पर दिमाग में न्यूरल फायरिंग सही तरीके से नहीं होती है। दिमाग के अगले हिस्से के न्यूरॉन्स मध्य हिस्से तक ही जा पाते हैं। यदि ये पीछे तक जाएं तो इससे सोचने, समझने की क्षमता बढ़ती है। राग सुनने पर न्यूरॉन्स के पिछले हिस्से तक पहुंचने के संभावना बढ़ने लगती है। प्रोफेसर बृजभूषण के मुताबिक, राग दरबारी सुनने के बाद एकाग्रता, बौद्धिक क्षमता बढ़ जाती है।