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प्राचीन काल में तराना को स्टॉप गान के नाम से जाना जाता था
Submitted by Anand on 24 May 2020 - 11:27am
तराना में प्राचीन काल में तराना को स्टॉप गान के नाम से जाना जाता था इस तो बछड़ों को सुबह अक्षर कहा जाता था जिनका कोई अर्थ तो नहीं होता था परंतु ओंकार की ध्वनि के वाचक होते थे और गायन में वाद्ययंत्र का आनंद भी देते थे तराना एक प्रकार का आधुनिक गायन है इसमें गीत के बोल निरर्थक होते हैं जैसे ता ना ना रे दादा रे दादा नी नो इत्यादि इसमें दूध का प्रयोग किया जाता है तराना में स्थाई और अंतरा 2 भाग होते हैं ख्याल गायक अधिकतर ख्याल गायन के पश्चात दूध लेने राख का तराना आरंभ कर देते हैं जो बहुत सुंदर लगता है
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