शास्त्रीय नृत्य

भारतीय शास्त्रीय संगीत का आधार:

भारतीय शास्त्रीय संगीत आधारित है स्वरों व ताल के अनुशासित प्रयोग पर।सात स्वरों व बाईस श्रुतियों के प्रभावशाली प्रयोग से विभिन्न तरह के भाव उत्पन्न करने की चेष्टा की जाती है। सात स्वरों के समुह को सप्तक कहा जाता है। भारतीय संगीत सप्तक के ये सात स्वर इस प्रकार हैं 
षडज (सा), ऋषभ(रे), गंधार(ग), मध्यम(म), पंचम(प), धैवत(ध), निषाद(नि)।
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राग भीमपलास और भीमपलास पर आधारित गीत

यह राग काफी थाट से निकलता है। आरोह में ः?रे"' और ः?ध"' नहीं लगता और अवरोह में सब स्वर लगते हैं, इसलिये इस की जाति औडव-सम्पूर्ण मानी जाती है। इसमें ः?ग"' और ः?नी"' कोमल लगते हैं। वादी स्वर ः?म"' और सम्वादी स्वर ः?स"' माना जाता है।

गाने-बजाने का समय दिन का तीसरा प्रहर है।

आरोह--ड, स, ज्ञ, म प ड सं।

अवरोह--सं, ड, ध प, म ज्ञ रे स।

पकड़--ड स म, म ज्ञ, प म, ज्ञ म ज्ञ रे स। Read More : राग भीमपलास और भीमपलास पर आधारित गीत about राग भीमपलास और भीमपलास पर आधारित गीत

नाट्य शास्त्रानुसार नृतः, नृत्य, और नाट्य में तीन पक्ष हैं –

नृतः केवल नृत्य है जिस में शारीरिक मुद्राओं का कलात्मिक प्रदर्शन है किन्तु उन में किसी भाव का होना आवश्यक नहीं। यही आजकल का ऐरोबिक नृत्य है।
नृत्य में भाव-दर्शन की प्रधानता है जिस में चेहरे, भंगिमाओं तथा मुद्राओं का प्रयोग किया जाता है।
नाट्य में शब्दों और वार्तालाप तथा संवाद को भी शामिल किया जाता है।
भारत में कई शास्त्रीय नृत्य की की शैलियाँ हैं जिन में ‘भरत-नाट्यम’, ‘कथक’, ‘कथकली’, ‘मणिपुरी’, ‘कुचीपुडी’ मुख्य हैं लेकिन उन सब का विस्तरित वर्णन यहाँ प्रसंगिक नहीं। Read More : नाट्य शास्त्रानुसार नृतः, नृत्य, और नाट्य में तीन पक्ष हैं – about नाट्य शास्त्रानुसार नृतः, नृत्य, और नाट्य में तीन पक्ष हैं –

जयपुर- अतरौली घराने की देन हैं एक से बढ़कर एक कलाकार

शास्त्रीय संगीत की दुनिया में मल्लिकार्जुन मंसूर, केसरबाई, किशोरी अमोनकर, श्रुति साडोलकर, पद्मा तलवलकर और अश्विनी भीड़े देशपांडे जैसे नामचीन कलाकारों की क्या कद है, ये बताने की जरूरत नहीं है. ये सभी कलाकार अतरौली घराने के हैं.

इस घराने की शुरुआत महान कलाकार अल्लादिया खान ने की थी. इस घराने की गायकी को कठिन इसलिए भी माना जाता है क्योंकि इसमें वक्र स्वर समूहों को प्रस्तुत किया जाता है. आपको हाल ही में अपने लाखों चाहने वालों को अलविदा कह गईं किशोरी ताई की गायकी सुनाते हैं. Read More : जयपुर- अतरौली घराने की देन हैं एक से बढ़कर एक कलाकार about जयपुर- अतरौली घराने की देन हैं एक से बढ़कर एक कलाकार

पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी

पंडित भीमसेन जोशी को बचपन से ही संगीत का बहुत शौक था। वह किराना घराने के संस्थापक अब्दुल करीम खान से बहुत प्रभावित थे। 1932 में वह गुरु की तलाश में घर से निकल पड़े। अगले दो वर्षो तक वह बीजापुर, पुणे और ग्वालियर में रहे। उन्होंने ग्वालियर के उस्ताद हाफिज अली खान से भी संगीत की शिक्षा ली। लेकिन अब्दुल करीम खान के शिष्य पंडित रामभाऊ कुंडालकर से उन्होने शास्त्रीय संगीत की शुरूआती शिक्षा ली। घर वापसी से पहले वह कलकत्ता और पंजाब भी गए। इसके पहले सात साल पहले शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खान को भारत रत्न से अलंकृत किया गया था। वर्ष 1936 में पंडित भीमसेन जोशी ने जाने-माने खयाल गायक थे। वहाँ उन्होंन Read More : पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी about पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी

वेद में एक शब्द है समानिवोआकुति

वेद में एक शब्द है समानिवोआकुति

वेद में एक शब्द है समानिवोआकुति जिसका अर्थ है श्रोताओं को मन के अनुसार बांध कर सामान भाव से संतुष्ट कर देना. उन्होंने ठुमरी को नीचे से ऊपर पहुँचाया और अगर उन्हें संगीत का वाज्ञेयकार कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

"मुझे याद है 1972 में टाउनहॉल मैदान में एक कार्यक्रम के दौरान वो मंच पर आईं और उन्होंने राग यमन, मालकौंस के बाद कई बंदिशें सुनाई लेकिन उसके बाद जब ठुमरी शुरू हुई तो उपस्थित जनसमूह ने उन्हें कुछ देर और गाने का आग्रह किया. बड़े ही मीठे स्वर में उन्होंने कहा 'आप लोग जाए न देबा’ और वे एक घंटे तक अनवरत जाती रहीं. Read More : वेद में एक शब्द है समानिवोआकुति about वेद में एक शब्द है समानिवोआकुति

भारतीय नृत्य कला

भारतीय नृत्य कला

भारतीय नृत्य की गौरवशाली परम्परा ईसा से 5000 वर्ष पूर्व की है। भारत का सर्व प्रथम मान्यता प्राप्त नृत्य प्रमाण सिन्धु घाटी सभ्यता काल की ऐक मुद्रा है जिस में ऐक नृत्याँगना को हडप्पा के अवशेषों पर नृत्य करते दिखाया गया है। भारत के लिखित इतिहास में सिन्धु घाटी सभ्यता से 200 ईसा पूर्व तक की कडी टूटी हुई है। Read More : भारतीय नृत्य कला about भारतीय नृत्य कला

राग परिचय

शास्त्रीय नृत्य
भारतीय नृत्य कला

नाट्य शास्त्रानुसार नृतः, नृत्य, और नाट्य में तीन पक्ष हैं –

राग भीमपलास और भीमपलास पर आधारित गीत

भारतीय शास्त्रीय संगीत का आधार:

पंडित भीमसेन गुरुराज जोशी

जयपुर- अतरौली घराने की देन हैं एक से बढ़कर एक कलाकार

वेद में एक शब्द है समानिवोआकुति

राग परिचय
स्वर मालिका तथा लिपि

रागों मे जातियां

कुछ रागों की प्रकृति इस प्रकार उल्लेखित है-

खर्ज और ओंकार का अभ्यास क्या है ?

स्वन या ध्वनि भाषा की मूलभूत इकाई हैक्या है ?

ठुमरी : इसमें रस, रंग और भाव की प्रधानता होती है

राग रागिनी पद्धति

राग दरबारी कान्हड़ा

राग 'भैरव':रूह को जगाता भोर का राग

रागांग राग वर्गीकरण से अभिप्राय

राग क्या हैं

क्या हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में भगवान शंकर को समर्पित भी है कोई राग?

संगीत में बड़ी ताक़त है - सलीम-सुलेमान

संगीत के स्वर

संगीत और हमारा जीवन
रागों में छुपा है स्वास्थ्य का राज

संगीत का वैज्ञानिक प्रभाव

शास्त्रीय संगीत और योग

कैसे जानें की आप अच्छा गाना गा सकते हैं

रियाज़ कैसे करें

चमत्कार या लुप्त होती संवेदना एक लेख

भारतीय संगीत में आध्यात्मिकता स्रोत

क्या आप भी बनना चाहेंगे टीवी एंकर

वैदिक विज्ञान ने भारतीय शास्त्रीय संगीत'रागों' में चिकित्सा प्रभाव होने का दावा किया है।

संगीत का प्राणि वर्ग पर असाधारण प्रभाव

गले में सूजन, पीड़ा, खुश्की

अल्कोहल ड्रिंक्स - ये दोनों आपके गले के पक्के (पक्के मतलब वाकई पक्के) दुश्मन हैं

छुटकारा पाना है गुस्सा, तनाव से तो सुनिए राग दरबारी और भीमपलासी

जानिए कैसे संगीत से दिमाग़ तेज होता है |

एक हज़ार साल तक बजने वाली धुन

गणित के सुंदर सूत्र, जैसे कोई संगीत जैसे कोई कविता

शास्त्रीय संगीतः जातिवाद का दौर हुआ ख़त्म?

संगीत सुनना सेहत के लिए भी होता है लाभदायक, जानिए कैसे

भारतीय शास्त्रीय संगीत
हारमोनियम के गुण और दोष

निबद्ध- अनिबद्ध गान: व्याख्या, स्वरूप, भेद

संगीत से सम्बन्धित 'स्वर' के बारे में है

गायकी के 8 अंग (अष्टांग गायकी)

संस्कृत में थाट का अर्थ है मेल

ध्वनि विशेष को नाद कहते हैं

भारतीय संगीत

षडजांतर | शास्त्रीय संगीत के जाति लक्षण क्यां है

अलंकार- भारतीय शास्त्रीय संगीत

'राग' शब्द संस्कृत की 'रंज्' धातु से बना है

भारतीय परम्पराओं का पश्चिम में असर

सात स्वर, अलंकार और हारमोनियम

भारतीय संगीत का अभिन्न अंग है भारतीय शास्त्रीय संगीत।

ठुमरी का नवनिर्माण

कर्नाटक और हिंदुस्तानी संगीत में मूलभूत अंतर क्या हैं?

राग की तुलना में भाव सौंदर्य को अधिक महत्वपूर्ण ठुमरी होती है।

प्राचीन काल में तराना को स्टॉप गान के नाम से जाना जाता था

हिंदुस्तानी संगीत के घराने
कैराना का किराना घराने से नाता

गुरु-शिष्य परम्परा

रागदारी: शास्त्रीय संगीत में घरानों का मतलब

मेवाती घराने की पहचान हैं पंडित जसराज

संगीत में विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी
माइक्रोफोन के प्रकार :

माइक्रोफोन का कार्य

नई स्वरयंत्र की सूजन

ऊँची आवाज़ ख़तरनाक भी हो सकती है

टोपी पहनिए और दिमाग से तैयार कीजिए धुन

खुल जाएंगे दिमाग़ के रहस्य

मूड के मुताबिक म्यूज़िक सुनाएगा गूगल

हमारे पूज्यनीय गुरु
उस्ताद बड़े ग़ुलाम अली ख़ां

ओंकारनाथ ठाकुर (1897–1967) भारत के शिक्षाशास्त्री,

बालमुरलीकृष्ण ने कर्नाटक शास्त्रीय संगीत और फिल्म संगीत

ठुमरी गायिका गिरिजा देवी हासिल कर चुकी हैं कई पुरस्कार और सम्मान

अमवा महुअवा के झूमे डरिया

उस्ताद बड़े गुलाम अली खान वाला पटियाला घराना

क्या अलग था गिरिजा देवी की गायकी में

संगीत के लिए सब छोड़ा : सोनू निगम

'संगीत के माध्यम से सेवा करता रहूंगा'

शास्त्रीय गायिका गंगूबाई

लता मंगेशकर ने क्यों नहीं की शादी?

अमिताभ को मिलना चाहिए भारत रत्न: लता

स्वर परिचय
संगीत के स्वर

स्वर मध्यम का शास्त्रीय परिचय

स्वर पञ्चम का शास्त्रीय परिचय

स्वर धैवत का शास्त्रीय परिचय

स्वर निषाद का शास्त्रीय परिचय

स्वर और उनसे सम्बद्ध श्रुतियां

सामवेद व गान्धर्ववेद में स्वर

संगीत रत्नाकर के अनुसार स्वरों के कुल, जाति

समाचार
जब हॉलैंड के राजमहल में गूंजे थे पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी से राग जोग के सुर

35 हज़ार साल पुरानी बांसुरी मिली

सुरमयी दुनिया का 'सुर-असुर' संग्राम

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